कोरोना वायरस की वजह से पुरे देश में लॉकडाउन जारी है। तो वहीं लॉकडाउन के समय में मीटर रीडर ने डोर-टू-डोर जाकर बिजली खर्च की वास्तविक रीडिग नहीं ली है। पिछले बिल के हिसाब से अनुमानित रीडिग का मानक तय कर बिल बनाकर घरों में भेजने शुरू कर दिए। इसकी वजह से कई जगहों पर असमानता की स्थिति है, कोई संतुष्ट है तो कई अधिक बिल आने से हैरान है।
बिजली विभाग के अधिशाषी अभियंता सुभाष चंद्र सचान के अनुसार लॉकडाउन के दौरान सख्ती से बिजली बिलों के भुगतान पर रोक रही, साथ ही अधिभार में भी छूट रही। जिसकी वजह से औद्योगिक इकाइयों से बिजली के बिलों का 90 फीसद भुगतान नहीं हुआ है। हर महीने औद्योगिक क्षेत्र के करीब 12 करोड़ के भुगतान होना चाहिए, लेकिन लॉकडाउन के दौरान सिर्फ डेढ़ करोड़ का भुगतान विद्युत बिलों से हुआ है। लॉकडाउन के दौरान घरों पर जाकर मीटर की रीडिंग लेना संभव नहीं था, इस वजह से पिछले बिलों के हिसाब से अनुमानित रीडिग तय कर बिल बनाए गए हैं।