वैसे तो हम सब इस बात को जानते है कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी है और उन्होनें अपने जीवन में कभी विवाह नहीं किया लेकिन क्या आप जानते है की उनका एक पुत्र भी था और उससे उनका युद्ध भी हुआ था तो आइये जानते है इस रोचक कथा के बारे में।
दरअसल यह तो आप लोगों को ज्ञात ही होगा की जब माता सीता का अपहरण रावण ने किया तो उसे अशोक वाटिका में रखा गया था। इसके बाद हनुमान जी ने माता सीता की खोज की और रावण के दरबार में जब हनुमान जी को ले जाया गया तो उनका अपमान करने के लिए उनकी पूंछ में आग लगा दी गयी।
जब रावण ने यह किया तो उसे पता नहीं था कि उसकी इस गलती से पूरी लंका जलकर ख़ाक हो जायेगी और यही हुआ भी ! हनुमान जी ने अपनी पूंछ को बड़ा किया और पूरी लंका में आग लगा दी। चूंकि लंका बहुत बड़ी थी और हनुमान जी थोड़े थक गए थे तो वो समुद्र तट पर आराम करने बैठ गए।
इसके बाद उनके शरीर से पसीने की एक बड़ी-सी बूंद समुद्र में गिर पड़ी और उस समय एक बड़ी मछली ने वह बूंद निगल ली और वह बूंद शरीर के रूप में परिवर्तित हो गयी। एक दिन अहिरावण के सैनिकों ने उस मछली को पकड़ा और जब उसका पेट चीरा तो एक मनुष्य निकला जो बिल्कुल वानरों जैसा दिखता था।
अहिरावण ने उसे पाताल लोक का द्वारपाल बना दिया और जब हनुमान जी राम लक्ष्मण को खोजते हुए आये तो उनका सामना सबसे पहले उनके पुत्र मकरध्वज से ही हुआ था। उसे परास्त करने के बाद ही उन्होनें अहिरावण का वध किया और जाते जाते वो अपने पुत्र को पाताल लोक का राजा बना गए। तो ये थी हनुमान जी के पुत्र की रोचक कथा।