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Dev Deepawali 2024: 21 लाख दीपों से जगमग होगी काशी, झांकियों में दिखेगा नारी सशक्तीकरण और नशामुक्ति का संदेश

इस बार देव दीपावली 2024 पर काशी के घाटों पर भव्य आयोजन किया जाएगा। 21 लाख दीपों की रोशनी में काशी जगमगाएगी, और झांकियों में नारी सशक्तीकरण, नशामुक्ति जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश देखने को मिलेंगे।

By: Rekha 
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Dev Deepawali 2024: 21 लाख दीपों से जगमग होगी काशी, झांकियों में दिखेगा नारी सशक्तीकरण और नशामुक्ति का संदेश

इस बार देव दीपावली 2024 पर काशी के घाटों पर भव्य आयोजन किया जाएगा। 21 लाख दीपों की रोशनी में काशी जगमगाएगी, और झांकियों में नारी सशक्तीकरण, नशामुक्ति जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश देखने को मिलेंगे। यह आयोजन 221 स्थानों पर दीपों के माध्यम से होगा, जिसमें गंगा घाट, वरुणा, गोमती तट, कुंड और तालाब शामिल हैं। देव दीपावली एवं आरती महासमिति के अध्यक्ष आचार्य वागीश दत्त ने जानकारी दी कि इस वर्ष देव दीपावली “जाति पंथ अनेक, हम सनातनी एक” थीम पर मनाई जाएगी।

काशी के घाटों पर खास झांकियां और श्रद्धांजलि

काशी के तीन प्रमुख घाट – अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट और मणिकर्णिका घाट – अहिल्याबाई होल्कर को समर्पित होंगे। अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में उनके अद्वितीय योगदान को दीपों की झांकियों के माध्यम से दर्शाया जाएगा। साथ ही भोषले घाट पर दीपों से भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

दीपों का आयोजन और मुख्य आकर्षण

21 लाख दीपों में से 12 लाख दीप देव दीपावली महासमिति से जुड़ी 70 से अधिक संस्थाओं द्वारा जलाए जाएंगे, जबकि शेष दीप प्रशासन द्वारा प्रज्वलित किए जाएंगे।

अहिल्याबाई घाट पर उनकी वीरगाथा की झांकी के अलावा, राजघाट और अन्य घाटों पर नारी सशक्तीकरण और नशामुक्ति जैसे सामाजिक संदेश दिए जाएंगे।

विशेष आकर्षण – नारी सशक्तीकरण और नशामुक्ति झांकी

इस देव दीपावली पर घाटों पर नारी सशक्तीकरण और नशामुक्ति की विशेष झांकियां भी सजाई जाएंगी। इस आयोजन के माध्यम से समाज को सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया जाएगा। इन झांकियों में काशी की सांस्कृतिक धरोहर को भी खूबसूरती से दर्शाया जाएगा।

क्यों है देव दीपावली 2024 खास?

देव दीपावली का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इससे सामाजिक संदेश भी प्रसारित किए जाते हैं। काशी के लोग और बाहर से आने वाले श्रद्धालु इस महोत्सव का हिस्सा बनते हैं, जिससे काशी के घाटों का सौंदर्य बढ़ जाता है। इस वर्ष का आयोजन विशेष रूप से जाति और पंथ से ऊपर उठकर एकता और सामूहिकता का संदेश देगा।

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