कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार को लेकर मुंबई में नया विवाद खड़ा हो गया है, इसे लेकर एक दिन में दो बार नियम बदले गए, पहले नियम के अनुसार, कोरोना वायरस से मरने वाला चाहे किसी भी धर्म का हो सभी का दाह संस्कार किया जाएगा यानी किसी को भी दफनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिसके बाद इसका जमकर विरोध हुआ। विरोध को देखते हुए कुछ ही घंटों में इसे वापस लेकर नया आदेश जारी किया गया।
परिवार और स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) दोनों के दिशा-निर्देशों की माने तो, इस बीमारी से मरने वाले लोगों को दफनाने या दाह संस्कार करने की इजाजत है, हालांकि दाह संस्कार के दौरान इसके तहत कुछ नियम भी तय किए गए हैं। दोनों के ही दिशा-निर्देशों में ज़िक्र नहीं किया गया है कि, यदि सभी प्रोटोकॉल का पालन किया गया हो तो दफनाए हुए पार्थिव शरीर से वायरस फैलने की आशंका हो।
इन दोनों के दिशा-निर्देश के बाद भी बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) के आयुक्त प्रवीण परदेशी द्वारा जारी पहले के आदेश में कहा गया था कि, कोरोना वायरस की वजह से मरने वालों का दाह संस्कार ही किया जाएगा। और इस दौरान सिर्फ पांच लोग मौजूद रह सकते हैं, और पार्थिव शरीर को छुने की मनाही होगी। इसके अलावा यह कहा गया कि, जब कोई दफनाने पर जोर देगा तभी इसकी इजाजत दी जाए और पार्थिव शरीर को मुंबई क्षेत्र से बाहर ले जाना होगा। ट्रांसपोर्ट और दूसरी चीजों में आने वाले खर्चे को मृतक का परिवार ही देगा।
इस आदेश को लागू करने के लिए BMC का कहना है कि, कुछ समुदाय के नेताओं ने दफनाए हुए पार्थिव शरीर से वायरस के फैलने की आशंका जताई क्योंकि सभी कब्रिस्तान घनी आबादी के आसपास हैं। वहीं, नए आदेश में बीएमसी ने संशोधन करते हुए कहा है कि, यदि कब्रिस्तान बड़ा हो तो शवों को शहर में ही दफनाया जा सकता है, हालांकि यह नहीं बताया गया कि कब्रिस्तान का कितना बड़ा आकार हो। आदेश में शव को छूने की धार्मिक प्रथा का पालन करने की इजाजत नहीं है। और अंतिम संस्कार में पांच लोगों से ज्यादा लोगों को नहीं जाने दिया जाएगा।