1. हिन्दी समाचार
  2. Breaking News
  3. Loksabha Election: अशोकनगर में बोले सीएम योगी , अब पटाखा भी फट जाए तो पाकिस्तान सफाई देता है

Loksabha Election: अशोकनगर में बोले सीएम योगी , अब पटाखा भी फट जाए तो पाकिस्तान सफाई देता है

चुनावी सभा के मंच पर योगी और सिंधिया के साथ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा व विधायक गोपाल भार्गव भी मौजूद.

By: RNI Hindi Desk 
Updated:
Loksabha Election: अशोकनगर में बोले सीएम योगी , अब पटाखा भी फट जाए तो पाकिस्तान सफाई देता है

मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 के चलते राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है. लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में प्रदेश की गुना, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, भोपाल, राजगढ़, विदिशा, सागर और बैतूल समेत 9 लोकसभा सीटों पर चुनाव होना है. दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवराज सिंह चौहान की प्रतिष्ठा दांव पर है. भाजपा और कांग्रेस जोर-शोर से प्रचार में जुटी हुई हैं और पार्टी के दिग्गज नेता अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं.  गुना लोकसभा सीट देशभर में सुर्खियों में बनी हुई है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस इस पर अपनी पूरी ताकत झोंकती हुई नजर आ रही हैं.

इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार के सिलसिले में शनिवार को अशोकनगर पहुंचे. वह यहां गुना सीट से भाजपा प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में जनसभा को संबोधित करेंगे. सभा के मंच पर योगी आदित्यनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा व पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव भी मौजूद हैं.

यहां उन्होंने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में वोट मांगे. कहा, आज पूरे देश में एक स्वर गूंज रहा है. फिर एक बार मोदी सरकार. लोग कहते हैं जो राम  को लाए हैं, हम उनको लाए हैं.

जो राम को लाएं हैं हम उनको लाएंगे 
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि चारो ओर एक ही स्वर है कि फिर एक बार मोदी सरकार. लोगों से पूछा जाता है कि मोदी सरकार क्यों चाहिए? तो लोग कहते हैं कि विकास के साथ-साथ सब कुछ होगा लेकिन ‘जो राम को लाए हैं हम उनको लाएंगे’… यह संकल्प जो देश में दिख रहा है वो अभूतपूर्व है.

आज पाकिस्तान सबसे पहले सफाई देता है  
सीएम योगी ने कहा कि आज भारत एक नया भारत है.  देश की सीमाएं सुरक्षित हुईं हैं। देश से आतंकवाद और नकस्लवाद का नियंत्रित हुआ है. उन्होंने कहा कि 2014 के पहले आतंकी विस्फोट होते थे, आज अगर कहीं पटाखा भी फट जाए तो पाकिस्तान सबसे पहले सफाई देता है. क्योंकि, यह नया भारत है, यह छेड़ता नहीं है, लेकिन अगर कोई छोड़े तो उसे छोड़ता भी नहीं है.

औरंगजेब का जजिया कर, कांग्रेस का विरासत टैक्स  
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि औरंगजेब क्रूर था. कोई अपने बच्चे का नाम औरंगजेब नहीं रखता. औरंगजेब ने जजिया कर लगाया था और कांग्रेस भी इस जजिया कर की बात करती है. कांग्रेस ने जिस विरासत टैक्स की बात कही है वो यही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि हम सर्वे कराएंगे. सर्वे कराकर ये आपकी आधी संपत्ति ले लेंगे और कहेंगे कि यह हमारी है. कांग्रेस जजिया कर लगाना चाहती है. क्या कोई इसे स्वीकार करेगा?

यूपी के माफिया राम नाम सत्य की यात्रा पर 
सीएम योगी ने कहा कि मप्र की 29 सीटों पर कमल खिलने वाला है.  आपने खजुराहो देख लिया है और इंदौर से तो इसकी शुरुआत हो चुकी है.  इसी तरह यूपी 80 लोकसभा सीटों की यानी 80 मनकों की माला मोदी जी के गले में डालने को तैयार है. उन्होंने कहा कि मोदी जी और भाजपा सरकार ने यूपी में राम लला को विराजमान कर दिया है. अब वहां के माफिया भी राम नाम सत्य की यात्रा पर चले गए हैं.  ये दोनों काम भाजपा की सरकार ही कर सकती है.

पहले भूखों मरते थे लोग 
सीएम योगी ने कहा, पहले लोग स्वास्थ्य और सुविधाओं के अभाव में भूखों मरते थे, लेकिन आज 80 करोड़ लोगों को फ्री में राशन मिलता है. 10 करोड़ लोगों को एलपीजी सिलेंडर, करोड़ों लोगों को पक्के मकान बन गए, लेकिन यह सब शुरुआत है. हमें तो आत्मनिर्भर भारत बनाना है.

पूर्वजों द्वारा अर्जित सम्मत्ति ले लेगी 

योगी ने कांग्रेस के न्याय पत्र पर सवाल उठाए. मुगल शासन से तुलना करते हुए बताया कि औरंगजेब ने जजिया कर लगाया था, लेकिन कांग्रेस स्वतंत्र भारत में जजिया कर (विरासत टैक्स) की बात करती है. विरासत टैक्स के जरिए आपके पूर्वजों द्वारा अर्जित सम्मत्ति को कांग्रेस लेना चाहती है.

ओबीसी आरक्षण में सेंध लगाना चाहती है कांग्रेस 
सीएम योगी ने कहा कि कांग्रेस ओबीसी और अनुसूचित जाति के आरक्षण में सेंध लगाना चाहती है. कर्नाटक में इनकी सरकार ने शुरुआत कर दी. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस की सरकार बनती है तो अल्पसंख्यकों को खानपान की स्वतंत्रता देंगे. योगी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की मंशा गौ-हत्या को बढ़ावा देने की है. जनता से पूछा आप लोग इसे पसंद करेंगे क्या.

ज्योतिरादित्य सिंधिया कौन है

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश में एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं. इस बार वह बीजेपी के टिकट पर अपनी परंपरागत सीट गुना से लड़ेंगे. इस सीट से पहले ही तीन बार सांसद और यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. एक जनवरी 1971 को पैदा हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. माधव राव सिंधिया के बेटे हैं. माधवराव सिंधिया भी मध्यप्रदेश की गुना लोकसभा सीट से जीत कर संसद पहुंचते थे, लेकिन 30 सितम्बर 2001 को एक प्लेन दुर्घटना में उनका निधन हो गया.

उसके बाद से पिता की राजनीतिक विरासत को ज्योतिरादित्य सिंधिया आगे बढ़ा रहे हैं. ग्वालियर राजघराने में पैदा हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया का शुरू में राजनीति से कोई वास्ता नहीं था. हालांकि सितंबर 2001 में पिता के निधन के बाद वह 18 दिसंबर को वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और पिता के निधन के बाद खाली हुई गुना लोकसभा सीट पर पहली बार फरवरी 2002 में चुनाव मैदान में उतरे. इस चुनाव में उन्होंने साढ़ 4 लाख वोटों से विजय हासिल की.

यूपीए सरकार में बने मंत्री

फिर वह साल 2004 में हुए लोकसभा चुनावों में उतरे और जीतकर केंद्र सरकार में मंत्री बने. उन्होंने 2009 में अपनी लगातार जीत का हैट्रिक लगाया और इस बार उन्हें वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बनाया गया. ज्योतिरादित्य सिंधिया 2014 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे और मोदी लहर के बावजूद जीते, लेकिन 2019 के चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसी दौरान मध्यप्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी हो गई और ज्योतिरादित्य अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़ कर 11 मार्च 2020 को बीजेपी में शामिल हो गए.

2021 में थाम लिया भगवा

इससे मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई और बीजेपी की सरकार बनी. इधर, बीजेपी में आने के बाद ज्योतिरादित्य को 2021 में हुए कैबिनेट विस्तार में मंत्री बनाया गया. तब से वह नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. उन्हें मंत्री बनाए रखने के लिए बीजेपी ने राज्यसभा भेजा है. 2022 में केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास इस्पात मंत्रालय भी आ गया. ज्योतिरादित्य सिंधिया की शिक्षा दीक्षा ग्वालियर के ही कैंपियन स्कूल और फिर दून स्कूल से हुई.

हावर्ड यूनिवर्सिटी से की पढ़ाई

फिर वह उच्च शिक्षा के लिए 1993 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी गए. 2001 में ज्योतिरादित्य ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया. ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया (किरण राज्य लक्ष्मी देवी) नेपाल के प्रधान मंत्री और कास्की और लमकुंग के महाराजा और गोरखा के सरदार रामकृष्ण कुंवर के पैतृक वंशज जुड्ढा शमशेर जंग बहादुर राणा की पोती है.

गुना लोकसभा का इतिहास

गुना लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की राजनीति की उन धुरियों मे से एक हैं जहां से पूरे प्रदेश की राजनीति निर्धारित होती रही है. ग्वालियर राजघराने से संबंध रखने वाली ये लोकसभा सीट बेहद महत्वपूर्ण है. यहां से सिंधिया परिवार की तीन पीढ़िया चुनाव लड़ते आ रही हैं. यहां से राजमाता विजय राजे सिंधिया चुनाव लड़ी हैं फिर इस सत्ता को माधवराज सिंधिया ने संभाला इसके बाद अब राजघराने की तीसरी पीढ़ी यानी ज्योतिरादित्या सिंधिया का इस सीट पर दबदबा है.

राजघराने की सीट कहलाने वाली गुना लोकसभा में पूरा अशोकनगर जिला और शिवपुरी और गुना जिले के कुछ हिस्से आते हैं. इस लोकसभा सीट में भी 8 विधानसभाएं हैं जिनमें से 2 पर कांग्रेस का कब्जा वहीं है 6 पर बीजेपी ने कमल खिला रखा है. इन विधानसभाओं में शिवपुरी, पिछोर, कोलारस, बमोरी, गुना, अशोक नगर, चंदेरी, मुंगावली शामिल हैं. इनमें से अशोकनगर और बमोरी को छोड़कर सभी विधानसभाएं बीजेपी के पास हैं.

साल 2019 के चुनाव के नतीजे क्या थे?

2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस सीट पर बीजेपी के केपी यादव ने जीत दर्ज की थी. उन्हें 6,14,049 वोट मिले थे. दूसरी ओर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े ज्योतिरादित्य सिंधिया को 4,88,500 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर 37,530 वोटों के साथ बीएसपी के लोकेंद्र सिंह राजपूत तीसरे नंबर पर रहे थे.

साल 2014 के चुनाव के नतीजे क्या थे?

2014 में गुना सीट पर कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया जीते थे. उन्होंने बीजेपी नेचा जयभान सिंह पवैया को हराया था. सिंधिया को 5,17,026 वोट मिले थे जबकि जयभान सिंह को 3,96,266 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर बीएसपी के लखन सिंह बघेल रहे थे. उन्हें 27,412 वोट मिले थे.

साल 2009 के चुनाव में कौन जीता?

साल 2009 के लोकसभा में भी गुना की लोकसभा सीट पर कांग्रेस का ही दबदबा रहा था. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा को वोटों के बड़े अंतर से हराया था. सिंधिया को 4,13,297 वोट मिले थे वहीं, नरोत्तम मिश्रा को 1,63,560 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर बीएसपी के लोकपाल लोदी रहे थे. उन्हें 29,164 वोट मिले थे.

जातीय समीकरण क्या है?

जातिगत समीकरण के मुताबिक यहां अनुसूचित जनजाति की तादाद सबसे ज्यादा 2 लाख 30 हजार से ज्यादा है. अनुसूचित जाति 1 लाख से ज्यादा, कुशवाहा- 60 हजार, रघुवंशी- 32 हजार, यादव-73 हजार, ब्राह्नण-80 हजार, मुस्लिम- 20 हजार और वैश्य जैन-20 हजार है.

साल 2019 में कब हुए थे चुनाव?

चुनाव आयोग ने 10 मार्च, 2019 को लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की थी. चुनाव आयोग द्वारा 7 चरणों में 2019 के चुनाव कराए जाने की घोषणा की गई थी. ये चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई तक चले थे। वोटों की गिनती 23 मई को हुई थी.

मध्य प्रदेश में साल 2019 के लिए लोकसभा चुनाव चार चरणों में हुआ था. पहले फेज में 6 सीटों पर 29 अप्रैल को, दूसरे फेज में 7 सीटों पर 6 मई को, तीसरे फेज में 8 सीटों पर 12 मई को और चौथे फेज में 8 सीटों पर 19 मई को चुनाव हुआ था. वोटों की गिनती 23 मई को हुई थी.

ऐतिहासिक मंदिर है बजरंगढ़

गुना लोकसभा सीट ग्वालियर संभाग में आती है और यहां पर बजरंगढ़ नाम का ऐतिहासिक स्थान है जो कि अतिप्रचीन मंदिर की वजह से लाखों लोगों की श्रद्धा का केंद्र है. इसके अलावा चंदेरी के किले भी बहुत फेमस हैं और यहां पर जागेश्वरी माता का अतिप्रचीन मंदिर है. यहां हर नवरात्रि में लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं. यह लोकसभा राजस्थान की सीमा से सटी हुई है इसलिए यहां का कल्चर राजस्थानी कल्चर से मेल खाता हुआ है.

राजनीति और सिंधिया परिवार

इस लोकसभा सीट की बात की जाए तो 1957 से ही इस सीट पर राजघराने का वर्चस्व रहा है. सबसे पहले यहां से राजमाता विजय राजे सिंधिया ने 1957 में चुनाव लड़ा था. उनके बाद इस सीट पर माधवराव सिंधिया ने सबसे पहली बार 1971 में चुनाव लड़ा था. इस दौरान उन्होंने लगातार तीन लोकसभा चुनाव में गुना लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की. माधवराव के बाद इस सीट पर फिर से राजमाता ने बीजेपी से चुनाव लड़ा और 1989 से लेकर 1998 तक चार बार सांसद चुनी गईं. माधवराव सिंधिया ने इस सीट पर फिर से वापसी की और 1999 में कांग्रेस से चुनाव जीता. हालांकि इसके बाद 2002 में उपचुनाव किए गए जिसमें सबसे पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यहां से चुनाव लड़ा और शानदार जीत दर्ज की. इसके बाद 2004, 2009 और 2014 में सिंधिया ही यहां से जीतते रहे.

राजनीतिक वर्चस्व

इस सीट पर पार्टी का वर्चस्व उतना नहीं है जितना सिंधिया राजघराने का रहा है. इस सीट से सिंधिया राजघराने की तीन पीढ़ियां चुनाव लड़ चुकी हैं और जीत दर्ज की है. माधवराव सिंधिया की आकस्मक मौत के बाद इस सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चुनाव लड़ा था और अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. 2002 के बाद से 2019 तक सिंधिया यहां से सांसद रहे हैं. वहीं 2019 के चुनाव में सिंधिया से बीजेपी के केपी यादव ने इस सीट को छीन लिया था और 1 लाख से ज्यादा वोटों से करारी शिकस्त दी थी.

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...