रिपोर्ट: सत्यम दुबे
प्रयागराज: कोरोना महामारी के प्रकोप से देश में हाहाकर मच गया था। महामारी को मात देने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। फिलहाल महामारी से जीतने के लिए वैक्सीन ही एक मात्र विकल्प दिखाई पड़ रही है। सरकार तेजी वैक्शीनेशन भी करवा रही है। इन सब के बीच गंगा जल से कोरोना का इलाज करने का एक मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की चौखड़ पर पहुंच गया है।
आपको बता दें कि गंगा जल से कोरोना के इलाज करने की एक याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की गई है, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इसे लेकर हाईकोर्ट ने सेंट्रल गवर्नमेंट की एथिक्स कमिटी और ICMR को भी नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने इसे लेकर इन दोनों संस्थानों को छह हफ्ते का समय दिया है। इस याचिका में दावा किया गया है कि गंगाजल से कोरोना का इलाज किया जा सकता है।
याचिकाकर्ता ने इससे पहले भी मार्च 2020 में ही राष्ट्रपति को गंगाजल से कोरोना के इलाज को लेकर एक शोध पत्र भेजा था। गंगा मंत्रालय ने इसे ICMR को भेजा था जिसे ICMR ने रिजेक्ट कर दिया था। इस पर याची ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के 5 डॉक्टरों की टीम से शोध कराया था। इसका शोध पत्र इंटरनेशनल जनरल में सितंबर 2020 में प्रकाशित हुआ था।
आपको बता दें कि इस सबंध में 30 रुपए की लागत की नेजल स्प्रे भी बनाई गई थी, इसके साथ ही 600 लोगों की एक टीम भी बनाई गई थी। 300 लोगों को नेजल स्प्रे दिया गया, दावा किया जा रहा है कि उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। जिन्हें यह नेजल स्प्रे नहीं दी गई थी उनमें ज्यादातर लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
इस जनहित याचिका के माध्यम से मांग की गई है कि गंगाजल से कोरोना का इलाज करने की अनुमति मिले। वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता ने ये याचिका दाखिल की है। गंगा पर दाखिल PIL में हाई कोर्ट की ओर से एमिकस क्यूरी भी हैं। चीफ जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस राजेंद्र कुमार चतुर्थ की डिवीजन बेंच में इस PIL पर सुनवाई हुई है।