रिपोर्ट : मोहम्मद आबिद
शिमला : महिला के पेट में गर्भ ठहरने का समय 9 महीने का है लेकिन अगर डिलवरी होने से पहले परेशानी हो जाए तो उसे डॉक्टर के पास जाकर अपना इलाज कराना होता है और फिर कुछ समय तक इलाज किया जाता है और परिवार वाले लोगों को पता होता है की स्वास्थ्य खराब है जिसका इलाज किया जा रहा है।
अब हम ऐसे मामले की जांच पड़ताल कर रहे हैं जिसमें पुलिस, डॉक्टर, अदालत सब हैरान हैं, कि दोबारा मेडिकल जांच में नाबालिग के पेट से भ्रूण कहां और कैसे गायब हो गया. इस मामले में हाईकोर्ट ने सीआईडी को जांच का जिम्मा सौंपा है।
नाबालिग के गर्भ से चार सप्ताह का भ्रूण कहां गया, इसकी पड़ताल अब CID करेगी। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंडी जिले के इस मामले की जांच का जिम्मा सीआईडी को सौंपा है और जल्द रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. इस मामले में शक के आधार पर गिरफ्तार किए गए युवक को अदालत ने जमानत दे दी है।
अक्टूबर-2020 में नाबालिग के पेट दर्द हुआ तो डॉक्टर से दवाई लेने के लिए अस्पताल पहुंची जहां नाबालिग का अल्ट्रासाउंड हुआ जिसमें उसके गर्भवती होने की बात सामने आई है और अल्ट्रासाउंड में गर्भ में चार से आठ सप्ताह का भ्रूण मिला।
रिपोर्ट सामने आने के बाद मां ने बेटी से पूछताछ की लेकिन स्थिती साफ नहीं हुई है लेकिन पुलिस ने पीड़िता की मां की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया और शक के आधार पर एक युवक को हिरासत में लिया है।
पूरे मामले में पुलिस ने पुलिस ने जब दोबारा स्वास्थ्य संस्थान में नाबालिग की मेडिकल जांच करवाई तो भ्रूण नहीं मिला, पहली बार जांच करने वाले डॉक्टर इस बात से हैरान थे. रिपोर्ट सामने आने के बाद पुलिस भी हैरान हो गई।
वहीं जांच में पुलिस को कुछ नहीं मिला तो क्लोजर रिपोर्ट तैयार हुई लेकिन आरोपी युवक को जब निचली अदालत से जमानत नहीं मिली तो हाईकोर्ट पहुंचने पर जमानत मिल गई है जिसके बाद अब हाईकोर्ट ने पूरे मामले में सीआईडी को छानबीन का जिम्मा सौंपा है।