नई दिल्ली : तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की लगातार बिगड़ती व्यवस्था को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चर्चा हुई। जिसकी अध्यक्षता भारत ने की। इस बैठक में पाकिस्तान को एंट्री ना मिलने पर न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि चीन भी बौखलाया है। आपको बता दें कि फिलहाल भारत यूएन सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है और इस बैठक में गैर-सदस्य देश शामिल नहीं हो सकते।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने भारत पर आरोप लगाया कि यह भारत की पाकिस्तान के लिए नफरत है, जिसके चलते पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद में बोलने का मौका नहीं मिला। अकरम ने कहा कि पिछली बार भी पाकिस्तान को बोलने का मौका नहीं दिया गया। पाकिस्तान के परेशान राजदूत ने इस मंच से भी कश्मीर का मुद्दा उठाया और कहा कि भारत को सुरक्षा परिषद में होने का कोई अधिकार नहीं।
पाकिस्तान के संग चीन भी बौखलाया
पाकिस्तान को भले ही सुरक्षा परिषद के अंदर बोलने का मौका ना मिला, लेकिन पाकिस्तान का ऑल वेदर फ्रेंड चीन सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य है। चीन के राजदूत गेंग शुअंग ने अपने भाषण के दौरान अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा तो की, लेकिन साथ ही साथ उन्होंने पाकिस्तान के साथ समर्थन भी जताया। शुअंग ने कहा कि अफगानिस्तान के पड़ोसी देश आज की बैठक में शामिल होना चाहते थे, अफसोस है कि उन्हें इजाजत नहीं मिली।
आरोप लगाने वालों को नियम की जानकारी नहीं
सूत्रों ने बताया कि अफगानिस्तान पर बुलाई गई बैठक में परिषद सदस्य और संबंधित देश, यानी अफगानिस्तान शामिल हुआ ताकि काबुल के हालात पर चर्चा की जा सके। पाकिस्तान समेत कुछ देशों ने गैर सदस्यों को शामिल करने की इजाजत मांगी थी, लेकिन नियमों के मुताबिक परिषद सदस्यों के बीच असहमति के चलते इजाजत नहीं दी गई।
सूत्रों ने बताया कि जो देश इसे भारत की नफरत बता रहे हैं, उन्हें सुरक्षा परिषद के नियमों की जानकारी नहीं है। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के साथ अन्य देशों ने भी चर्चा में शामिल होने की इजाजत मांगी थी, लेकिन पाकिस्तान की तरह किसी और देश ने भारत पर आरोप नहीं लगाए।
जानकारों का मानना हैं कि यदि भारत सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता ना कर रहा होता तो शायद पाकिस्तान भी यह रवैया नहीं अपनाता।