नया साल शुरू हो गया है और इस साल की शुरुआत में ही चन्द्र ग्रहण पड़ रहा है तो आइये जानते है साल के पहले चंद्र ग्रहण के बारे में वही साथ ही आपको यह भी बतायेंगे की आपको क्या क्या सावधानी रखनी है।
इस साल 2020 में कुल 6 ग्रहण लगने वाले हैं जिसमें 2 सूर्य ग्रहण और 4 चंद्र ग्रहण होंगे वही 10 जनवरी को साल का पहला चंद्रग्रहण लगने वाला है, 10 जनवरी को पौष माह की पूर्णिमा है और उसके बाद माह का महीना शुरू हो जायेगा जिसे की सबसे पवित्र माह माना जाता है। दरअसल सूर्य और चंद्रमा के बीच जब पृथ्वी आ जाती है और चंद्रमा पर पृथ्वी छाया पड़ने लगती है, तो इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं।
10 जनवरी को रात्रि 10 बजकर 37 मिनट से लेकर 11 जनवरी को देर रात 2 बजकर 42 मिनट तक बना रहेगा यानी इस ग्रहण का समय 4 घण्टे से भी अधिक रहने वाला है, इस ग्रहण को यूरोप, एशिया, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया में भी देखा जायेगा। चन्द्रमा को देखे तो इस दिन चन्द्रमा मिथुन राशि में रहेगा, ज्योतिष में पूर्णिमा का चंद्र पूर्ण बलवान माना जाता है।
हमारी मान्यताओं की माने तो तो 12 घण्टे पहले ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाता है जिसमे कई कार्यो को करने की मनाही है, यानी की 10 जनवरी की सुबह 10 बजे से यह सूतक लग जायेगा और जिस समय सूतक लगेगा उसी समय देश भर के मंदिरों के पूजा की जाएगी और तुरंत बाद पट बंद कर दिए जाएंगे।
ग्रहण की अवधि में तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, मल-मूत्र त्याग करना, केश विन्यास बनाना, रति-क्रीड़ा करना, मंजन करना वर्जित किए गए हैं। गर्भवती स्त्री को सूर्य-चंद्र ग्रहण नहीं देखने चाहिए, क्योंकि उसके दुष्प्रभाव से शिशु अंगहीन होकर विकलांग बन सकता है, गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है।
चंद्र ग्रहण के समय जठराग्नि, नेत्र तथा पित्त की शक्ति कमज़ोर पड़ती है इसलिए सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करने की भी सख्त मनाही है वही मंदिरो के कपाट भी इस दौरान बंद कर दिए जाते है और भगवान को स्पर्श नहीं किया जाता है।
ग्रहण लगने के पूर्व नदी या घर में उपलब्ध जल से स्नान करके भगवान का पूजन, यज्ञ, जप करने का विधान है, भजन-कीर्तन करके का भी फल माना जाता है शुभ होता है वही ग्रहण के समय में मंत्रों का जाप करने से सिद्धि प्राप्त होती है वही इस समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरुरतमंदों को वस्त्र दान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके ब्राह्मण को दान देने की मान्यता है, मंदिरो में ईश्वर की मूर्ति को स्नान करवाकर तुलसी जल से शुद्ध किया जाता है, वही प्रोसेस लोगो को अपने घर में करना चाहिए।