रिपोर्ट: नंदनी तोदी
लखनऊ: प्रेस जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है, एक ऐसा हिस्सा है जिसका लक्ष्य उन मुद्दों को सामने लाना है, जिसे जनमत को आकार देंगे और किसी देश के नागरिकों को उनके अधिकारों का प्रयोग करने की अनुमति देंगे। हालाँकि इन दिनों पत्रकारिता का नाम लेकर कई प्रकार के मामले सामने आ रहे है, जिसमे लोग खुद को मीडिया कर्मी बताकर वारदातों को अंजाम देते हैं।
दरअसल, ये मामला उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ का है, जहा एक प्रोफेसर को एक महिला अपने चंगुल में फसाकर एक रकम हड़पने की कोशिश कर रहे है। आरोप ये है कि महिले ने अपने दो साथियों के साथ इस वारदात को अंजाम दिया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, प्रोफेसर को एक कामहिले का कॉल आया, जिसे उसने उठाकर बात की। लेकिन ये बार नहीं हुआ, ये सिलसिला चलता रहा और उन लोगों की बातें होती रहीं। व्हीएक दिन आया जब महिला ने अपने बेटे की बीमारी का बहाना बनाया और प्रोफेसर को अपने घर बुआलया। ये मामला तब संगीन हुआ जब उस महिले के हर में पहले से दो लोग और मौजूद थे।
प्रोफेसर की तहरीर में प्रोफेसर ने बताया कि उन्हें बंधक बनाकर उनके कपड़े उतारे गए और महिला ने अश्लील वीडियो बनाई। प्रोफेसर का आरोप है कि तब से उन्हें ब्लैकमेल करते हुए 10 लाख रुपये की मांग की जा रही है और नहीं देने पर वीडियो वायरल कर देने की धमकी दी जा रही है।
इतना ही नहीं, प्रोफेसर के मुताबिक महिला और उसके साथियों ने यह भी कहा कि वे पत्रकार हैं, और मीडिया में वो वीडियो चलवा देंगे।
जैसे तैसे प्रोफेसर वह से निकल गया और पुलिस स्टेशन पहुंचकर इन सबकी जानकारी पलिस को दी और साड़ी घटना के बारें बताया। मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस ने करवाई की और मामले के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनसे फिलहाल पूछताछ जारी है।
पीजीआई थाने की पुलिस को मिली सूचना के मुताबिक प्रोफेसर के साथ घटना को अंजाम देने वाले फर्जी पत्रकार किसी और को फंसाने की फिराक में वृंदावन चिरैया बाग के पास घूम रहे है। जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।