रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: पीएम मोदी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। दूसरे कार्यकाल में हुए पहले कैबिनेट विस्तार में 43 नेताओं में सात नाम उत्तर प्रदेश से हैं। जिसमें बीएल वर्मा भी शामिल हैं। बीएल वर्मा केंद्रीय मंत्री बनने के साथ ही दिल्ली पहुंच गये। यूपी में अगले साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी ने इसके लिए तैयारियां भी शुरू कर दी है।
आपको बता दें कि बीएल वर्मा कल्याण सिंह के करीबियों में गिने जाने है। बदायूं के उझानी ब्लाक के ज्योरा पारवाला गांव के रहने वाले बीएल वर्मा ने साल 1980 में RSS के खंड कार्यवाह व तहसील प्रमुख के रूप में सामाजिक जीवन के सफर की शुरुआत की थी।
बीजेपी ने बीएल वर्मा को पिछले साल ही राज्यसभा का टिकट देकर संसद भेजा था। इतना जल्दी मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने पर तमाम सियासी मायने खोजे जा रहे हैं। आपको बता दें कि पिछड़े वर्ग से आने और विधानसभा चुनाव को ही इसका मुख्य कारण माना जा रहा है। पिछली बार जब उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया तो कयास लगाया गया कि रुहेलखंड के साथ आगरा मंडल में पार्टी ने लोधी वोट बैंक को सहेजने की कोशिश की है।
राजनीतिक जीवन की बात करें तो बीएल वर्मा ने साल 1980 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के खंड कार्यवाह व तहसील प्रमुख के रूप में सामाजिक जीवन के सफर की शुरुआत की थी। इसके बाद 1984 में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला महामंत्री बने। इसके बाद वह लगातार संगठन के लिए कार्य करते रहे और 1997 में भाजयुमो के प्रदेश मंत्री बने। 2003 से 2007 तक वह भाजपा के प्रदेश मंत्री भी रहे।
आपको बता दें कि जब कल्याण सिंह ने बीजेपी छोड़ी और राष्ट्रीय जन क्रांति पार्टी बनाई तब बीएल वर्मा को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद कल्याण सिंह के साथ ही वह भाजपा में लौट आए। वह भाजपा रूहेलखंड के अध्यक्ष रहे और साल 2016 में भाजपा ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष बने और फिर उनके कद को बढ़ाते हुए पार्टी ने भाजपा का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया। यूपी में बीजेपी की सरकार आने के बाद इन्हें राज्य मंत्री स्तर का यूपी सिडको का चेयरमैन बनाया गया।