दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बार बड़े बदलाव करने जा रही है। पार्टी ने चुनाव में कई नए चेहरे उतारने का निर्णय लिया है और पिछले चुनावों में लगातार हार का सामना करने वाले नेताओं को इस बार चुनावी मैदान से बाहर रखने की योजना बनाई है।
भाजपा के सूत्रों के अनुसार, दिल्ली में बदले हुए जातीय समीकरणों और बढ़ती प्रवासी आबादी को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने अपने टिकट वितरण की रणनीति तैयार की है। चुनाव से पहले किए गए सर्वे में बदले समीकरणों के आधार पर भाजपा अपनी रणनीति बना रही है, जिससे कई उम्मीद से हटकर चेहरे उम्मीदवार बन सकते हैं। पार्टी ने प्रदेश चुनाव समिति और घोषणापत्र समिति का गठन भी किया है, जिसमें दिल्ली के सभी प्रमुख नेताओं को शामिल किया गया है।
नई रणनीति के तहत पुराने दिग्गजों को भी मिल सकता है मौका
भाजपा इस बार अपने कुछ पुराने नेताओं जैसे रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा को भी मैदान में उतारने पर विचार कर रही है। इन दिग्गज नेताओं के चुनाव में उतरने से भाजपा की सीटों पर माहौल बनने की संभावना है। साथ ही, पार्टी में कुछ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी या बांसुरी स्वराज को केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ाने का सुझाव दे रहे हैं। बांसुरी स्वराज ने हाल ही में युवाओं और महिलाओं में लोकप्रियता हासिल की है और आम आदमी पार्टी पर कई मुद्दों पर हमलावर भी रही हैं।
घोषणापत्र दिसंबर तक जारी हो सकता है
भाजपा ने रविवार को घोषणा की कि वह दिसंबर के मध्य तक अपना चुनावी घोषणापत्र जारी करेगी। घोषणापत्र समिति के संयोजक रामवीर सिंह बिधूड़ी ने बताया कि विभिन्न वर्गों के साथ विचार-विमर्श के लिए बैठकों की शुरुआत हो चुकी है। इस प्रक्रिया में समाज के लगभग 50 विभिन्न श्रेणियों के लोगों को शामिल किया जाएगा ताकि घोषणापत्र में दिल्ली के सभी वर्गों की आवश्यकताओं और मुद्दों को प्रभावी ढंग से शामिल किया जा सके।
पीएम मोदी की ‘नए चेहरों’ की वकालत का असर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राजनीति में नए चेहरों की वकालत के बाद भाजपा ने दिल्ली चुनाव में नए चेहरों को मौका देने की योजना बनाई है। इससे न केवल पार्टी में नए नेतृत्व को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि युवाओं और महिलाओं में पार्टी की पकड़ भी मजबूत होगी।
भाजपा का यह कदम दिल्ली की जनता को एक नई सोच और बदलाव का संकेत दे सकता है। अब देखना होगा कि भाजपा अपनी रणनीति से इस बार दिल्ली की सत्ता में वापसी कर पाती है या नहीं।