2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कई इलेक्शन महत्वपूर्ण होने वाले हैं। ये चुनावी फाइट ही आगे के लिए समीकरण सेट करेंगी। इनमें से एक है 15 राज्यों से राज्यसभा की 57 सीटों पर 10 जून को होने वाले चुनाव।
हर पार्टी की कोशिश है कि जिस सीट के लिए संख्या कम है, वहां कोई दांव पेच आजमाकर जीत हासिल की जाए। कुछ पार्टियों को क्रॉस वोटिंग का भी डर है। इधर, कपिल सिब्बल जैसे दिग्गज कांग्रेसी नेता के इस्तीफे और उनके सपा के समर्थन पर नामांकन भरने के सियासी घटनाक्रम ने द्विवार्षिक चुनाव में रोचकता बढ़ा दी है।
15 राज्यों की कई सीटों पर दिग्गजों की नजरें हैं, जिससे संसद में बैठने की उनकी मंशा फिर से या पहली बार पूरी हो सके। वैसे तो, किस पार्टी के हिस्से में कितनी सीटें आएंगी, इसका बड़ा सीधा और स्पष्ट फॉर्म्युला है लेकिन क्रॉस वोटिंग से इसमें ‘खेला’ भी संभव है। अपना समीकरण साधने के लिए सभी दलों में चर्चाएं और पार्टी लाइन से आगे जाकर लॉबीइंग चल रही है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब, उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश में चुनाव की नौबत आने की संभावना नहीं है। हालांकि 3 जून को नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन तस्वीर बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगी
बीजेपी चुनाव के लिए आज उत्तर प्रदेश से उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर सकती है। खबर है कि बीजेपी इस बार राज्यसभा के कुछ मौजूदा सदस्यों को इनाम देने के साथ कुछ नए नामों को भी राज्यसभा भेज सकती है।
दरअसल राज्यसभा में उत्तर प्रदेश के कुल 31 सदस्यों में से 11 सदस्यों का कार्यकाल आगामी 4 जुलाई को पूरा हो रहा है। इनमें भाजपा के जफर इस्लाम, शिव प्रताप शुक्ला, संजय सेठ, सुरेंद्र नागर और जयप्रकाश निषाद शामिल हैं।
इसके अलावा सपा के सुखराम सिंह यादव, रेवती रमण सिंह और विशंभर प्रसाद निषाद का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है। इन सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया मंगलवार को शुरू हो चुकी है और चुनाव 10 जून को होगा।
यूपी की 403 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 255 और उसके सहयोगी दलों को मिलाकर कुल 273 विधायक हैं। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के एक प्रत्याशी को जीतने के लिए कम से कम 34 विधायकों के वोट की जरूरत होती है।
ऐसे में बीजेपी राज्यसभा की 11 सीटों में से आठ पर अपने उम्मीदवारों को आसानी से जीत