बीजेपी के वरिष्ठ वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने राष्ट्रगान जन गण मन में बदलाव के लिए पीएम मोदी को एक पत्र लिखा हैं। स्वामी ने पत्र में लिखा हैं कि राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ को संविधान सभा में सदन का मत मानकर स्वीकार किया गया था।
सुब्रमण्यम स्वामी ने पत्र में आगे लिखा हैं कि, संविधान सभा के आखिरी दिन 26 नवंबर 1949 को सभा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने बिना वोटिंग के ही ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार कर लिया था।
हालांकि, उन्होने माना था कि आगे चल कर भविष्य में संसद इसके शब्दों को बादल सकती हैं। स्वामी का कहना हैं कि, जिस वक्त ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया था।
उन्होंने आगे लिखा उस वक्त इस पर आम सहमति जरूरी थी क्योंकि सभा के कई सदस्यों का मानना था कि इस मुद्दे पर बहस होनी चाहिए, क्योंकि ‘जन गण मन’ को पहली बार 1912 के काँग्रेस अधिवेशन में ब्रिटिश राजा के स्वागत में गाया गया था।
उन्होंने अपने इस पत्र को ट्विटर पर भी शेयर किया है। उन्होंने अपने इस पत्र को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा जन गण मन पर पीएम मोदी को मेरा पत्र।
My letter to PM Modi on Jana Gana Mana pic.twitter.com/qc1KnLDb2g
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 1, 2020
डॉ. राजेंद्र प्रसाद सभा के सदस्यों की भावनाओ को समझते हुए राष्ट्रगान के शब्दों में बदलाव का फैसला भविष्य के लिए संसद पर छोड़ दिया था। स्वामी ने प्रधानमंत्री से यह अपील की हैं कि, ‘जन गण मन’ की धुन से बिना छेड़छाड़ किए इसके शब्दों में बदलाव किया जाना चाहिए। साथ ही स्वामी ने यह सुझाव भी दिया हैं कि राष्ट्रगान में सुभाष चन्द्र बोस द्वारा किए गए बदलावों को ही स्वीकार किया जा सकता हैं।
आप को बता दें कि ‘जन गण मन..’ गीत को पहली बार 27 दिसंबर साल 1911 को गाया गया था। इस गीत को रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बंगाली भाषा में लिखा था। यह गीत 28 नवंबर को अंग्रेजी अख़बारों की सुर्खियों में छाया रहा। संविधान सभा ने जन गण मन के हिन्दी संस्करण को भारत के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी साल 1950 को अपनाया था।