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Loksabha Election: सीएम मोहन यादव का बड़ा बयान, जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं

'पहले देश में कई बम धमाके होते थे, लेकिन जब से मोदी सरकार बनी है, तब से देश से आतंकवाद खत्म हो गया है। राम मंदिर को लेकर भी उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा'।

By: RNI Hindi Desk 
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Loksabha Election: सीएम मोहन यादव का बड़ा बयान, जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव गुरुवार को राजगढ़ लोकसभा संसदीय क्षेत्र के बीजेपी प्रत्याशी रोडमल नागर के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए गुना के मकसूदनगढ़ पहुंचे. यहां उन्होंने जमकर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता को यह भी नहीं पता कि आलू जमीन पर उगता है कि आसमान पर. वह आलू को सोना बनाने की मशीन की बात करते हैं. कांग्रेस संविधान को खतरे में बताती है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार 2014 से केंद्र में है. कभी भी संविधान को कोई नुकसान नहीं हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो अपने कार्यकाल की शुरुआत ही संविधान की पुस्तक को नमन करके की है.

साथ ही उन्होंने मोदी और पाकिस्तान के बारे में भी टिप्पणी करते हुए कहा कि मोदी ने पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाई. पहले देश में कई बम धमाके होते थे. लेकिन जब से मोदी सरकार बनी है, तब से देश से आतंकवाद खत्म हो गया है. राम मंदिर को लेकर भी उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि राम मंदिर बनने से कांग्रेस वालों का वोट बैंक छिन गया है. अब 2024 में मोदी सरकार बनते ही मथुरा का नंबर आने वाला है. हमें सबको मिलकर श्री कृष्ण को मुस्कुराते हुए देखना है.

राजगढ़ का इतिहास

राजगढ़ जिला राज्य का अहम शहर है. यह एक छोटा-सा जिला है लेकिन एक साफ-सुथरा है. राजगढ मे नेवज नदी बहती है, जिसे शास्त्रों में निर्विन्ध्या कहा गया है. राजगढ़ जिले में स्थित नरसिंहगढ़ के किले को कश्मीर ए मालवा कहा जाता है. ये  मध्य प्रदेश का सर्वाधिक रेगिस्तान वाला जिला है.ये जिला मालवा पठार के उत्तरी छोर पर पार्वती नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है.

2011 की जनगणना के मुताबिक राजगढ़ में 24,89,435 जनसंख्या है. यहां की 81.39 फीसदी जनसंख्या ग्रामीण इलाके में रहती है और 18.61 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. इस क्षेत्र में गुर्जर, यादव और महाजन वोटर्स की संख्या अच्छी खासी है. ये चुनाव में किसी भी उम्मीदवार की जीत में अहम भूमिका निभाते हैं.

राजगढ़ में 18.68 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग हैं और 5.84 अनुसूचित जनजाति के हैं. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 के चुनाव में इस सीट पर 15,78,748 मतदाता थे. इनमें से 7,51747 महिला मतदाता और 8,27,001 पुरुष मतदाता थे.

साल 1962 में यहां पर हुए पहले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार भानुप्रकाश सिंह को जीत मिली. उन्होंने कांग्रेस के लिलाधर जोशी को हराया था. कांग्रेस को इस सीट पर पहली बार जीत 1984 में मिली, जब दिग्विजय सिंह ने बीजेपी के जमनालाल को मात दी थी.

राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 7 सीटें आती हैं. चचौड़ा, ब्यावरा, सारंगपुर, राघोगढ़, राजगढ़, सुसनेर, नरसिंहगढ़ और खिलचीपुर यहां की विधानसभा सीटें हैं.

2019 चुनाव में क्या रहा?

पिछले चुनाव की बात की जाए तो यहां से बीजेपी ने एक बार फिर से रोडमल नागर पर विश्वास दिखाया था और चुनावी मैदान में उतारा था. उनके प्रतिद्वंद्वी के रूप में कांग्रेस ने मोना सुस्तानी को टिकट दिया था. इस चुनाव में बीजेपी के रोडमल को 8.23 लाख वोट मिले थे जबकि कांग्रेस की मोना को 3.92 लाख वोट मिले थे. इस चुनाव में रोडमल नागर ने मोना सुस्तानी को 4.31 लाख वोटों के भारी-भरकम अंतर से हराया था.

बीजेपी के रोडमल नागर को 8,23,824 वोट मिले (जीते)
कांग्रेस की मोना सुस्तानी को 3,92,805 वोट मिले
नोटा को जनता ने 10,375 वोट दिए

2014 का जनादेश

2014 के चुनाव में बीजेपी के रोडमल नागर ने कांग्रेस अंलाबे नारायण सिंह  को हराया था. इस चुनाव में नागर को 5,96,727(59.04 फीसदी) वोट मिले थे और अंलाबे नारायण को 3,67,990(36.41 फीसदी) वोट मिले थे. दोनों के बीच हार जीत का अंतर 2,28,737 वोटों का था. तीसरे स्थान पर बसपा रही थी. उसको 1.37 फीसदी वोट मिले थे.

राजनीतिक ताना-बाना

राजगढ़ लोकसभा सीट को राजगढ़ जिले और गुना और आगर मालवा जिले के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाया गया है. इस लोकसभा सीट में भी कुल आठ विधानसभाएं हैं जिनमें चाचौरा, राघौगढ़, नरसिंह गढ़, ब्यावरा, राजगढ़, खिलचीपुर, सारंगपुर और सुसनेर शामिल हैं. इन सभी विधानसभाओं में सिर्फ 2 पर कांग्रेस का कब्जा है जबकि बाकी पर बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है.

अगर लोकसभा चुनावों की बात की जाए तो यहां पहले 2 लोकसभा में कांग्रेस को जीत मिली. इसके बाद 1962 में यहां से नरसिंहगढ़ के राजा भानु प्रकाश सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते. इसके बाद यह सीट कभी किसी एक पार्टी के पास ज्यादा लंबे वक्त तक नहीं रही. इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह दो बार चुनाव जीत चुके हैं और लक्ष्मण सिंह 5 बार चुनाव जीत चुके हैं. फिलहाल यह लोकसभा सीट बीजेपी के पास ही है.

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