देश में गरीबी कितना है यह शायद बताने की जरूरत नहीं है, घर से निकलते ही सड़क-चौराहों के कोने कोने पर खड़े भिखारी ये दर्शाते हैं कि देश में अब भी कुछ ऐसा करना हुगा जिसकी वजह से कम से कम एक आदमी को रोटी-कपड़ा-मकान मिल सके। अब मोदी सरकार ने जो भिखारियों के लिए योजना बनाई है उस पर सब कुछ सही रहा तो जल्द ही देश के कई राज्य भिखारियों से मुक्त हो जाएंगे।
योजना के तहत सब कुछ सही रहा तो, दिल्ली, लखनऊ, पटना और इंदौर सहित देश के दस प्रमुख शहर अगले दो सालों में भिखारियों या भिक्षावृत्ति से पूरी तर से मुक्त हो जाएंगे। सरकार ने इसे लेकर एक विस्तृत योजना बनाई है जिनमें सभी के पुनर्वास से लेकर इन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का भी काम होगा।
इस योजना पर अप्रैल से काम शुरु किया जाएगा। इसके साथ ही यदि यह सफल रहा तो अगले कुछ सालों में देश के सौ और बड़े शहरों को भिखारियों से मुक्त कर दिया जाएगा। समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने मिशन 2022 के तहत यह चुनौती पूर्ण काम लिया है। वहीं, सरकार ने बजट में भी इसके लिए पिछले सालों के मुकाबले करीब तीन गुना ज्यादा पैसा दिया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में भिखारियों के पुनर्वास के लिए सौ करोड़ रुपए का ऐलान किया गया है। जबकि इससे पहले यह बजट सिर्फ 25 करोड़ ही थी।
इस योजना में शामिल किए गए सभी दस शहरों से एक्शन प्लान मांगा है। वहीं इंदौर ने इसे लेकर अपना प्लान मंत्रालय को दे दिया है। इस योजना के तहत भिक्षावृति के काम में लगे लोगों के लिए इन शहरों में रेसक्यू सेंटर खोले जाएंगे। जो नगर निगमों और एनजीओ के माध्यम से संचालित किए जाएंगे। इसके साथ ही इन्हें रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी सुविधाओं से जोड़ा जाएगा।
इस योजना में जिन दस शहरों को शामिल किया गया है, उनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, नागपुर, इंदौर, पटना और लखनऊ शामिल है। हालांकि अगले चरण में उन सभी सौ शहरों पर फोकस किया गया है, जो अभी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल है।