भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे टीबी मुक्त भारत अभियान ने 100 दिनों में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। इस अभियान के तहत अब तक 5.1 लाख से अधिक टीबी मरीजों की पहचान की जा चुकी है, जबकि 10 करोड़ से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की गई है। यह पहल टीबी के त्वरित निदान, समय पर उपचार और संक्रमण को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।
टीबी उन्मूलन के लिए व्यापक रणनीति
7 दिसंबर 2024 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा द्वारा शुरू किए गए इस अभियान के तहत 455 जिलों में स्क्रीनिंग और पहचान अभियान तेज किया गया। विशेष रूप से, उन व्यक्तियों की जांच पर ध्यान केंद्रित किया गया जो टीबी के उच्च जोखिम में आते हैं, जैसे कि मधुमेह रोगी, धूम्रपान करने वाले, एचआईवी संक्रमित व्यक्ति, और पिछले टीबी मरीज।
एक्स-रे तकनीक से बढ़ी जांच की गति
टीबी की त्वरित पहचान के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अल्ट्रापोर्टेबल हैंड-हेल्ड एक्स-रे मशीनों का उपयोग शुरू किया, जिससे टीबी के शुरुआती लक्षण वाले और लक्षणहीन दोनों तरह के मरीजों की जांच करना संभव हुआ। इसके साथ ही, न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्टिंग (NAAT) के जरिए टीबी की पुष्टि की जा रही है, जिससे निदान में देरी को कम किया गया है।
अभियान के 100 दिनों की मुख्य उपलब्धियां
3.5 लाख से अधिक टीबी रोगियों की पहचान 455 जिलों में की गई।
10 करोड़ से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग पूरी हुई।
836 निक्षय वाहन तैनात कर दूरदराज के क्षेत्रों में जांच सुविधाएं पहुंचाई गईं।
10 लाख से अधिक निक्षय शिविर आयोजित किए गए।
38 लाख से अधिक लोगों की एक्स-रे जांच कर संभावित मरीजों की पहचान की गई।
टीबी मरीजों को पोषण सहायता भी दी जा रही
टीबी मरीजों के शीघ्र उपचार और उनके पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए निक्षय मित्र योजना के तहत मदद दी जा रही है। अब तक 2.4 लाख से अधिक निक्षय मित्र पंजीकृत हो चुके हैं, जिन्होंने 2.3 लाख से अधिक मरीजों को पोषण किट प्रदान की।