नई दिल्ली : असम-मिजोरम सीमा पर सप्ताह के शुरुआत में हुई हिंसा के बाद दोनों राज्यों के बीच अभी भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। इसे लेकर असम सरकार ने राज्य के नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने लोगों को सलाह दी है कि वे मिजोरम की यात्रा न करें। सरकार ने कहा है कि असम की जनता की सुरक्षा के लिए कोई खतरा मोल नहीं किया जा सकता। इस सप्ताह के शुरुआत में दोनों राज्यों के विवादित सीमा क्षेत्र पर हिंसा भड़की थी। इस हिंसा में छह पुलिसकर्मियों और एक आम नागरिक ने अपनी जान गंवाई थी।
इस बीच मिजोरम ने कहा है कि उसके पास सबूत हैं कि असम पुलिस ने हिंसा शुरू की और सवाल किया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ सीमा मुद्दों पर सफल बैठक के दो दिन बाद ऐसा कैसे हो सकता है। आपको बता दें कि दो राज्यों की पुलिस के बीच सोमवार को हुई हिंसक झड़प में असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई थी। इसके अलावा 45 लोग घायल हो गए थे।
असम सरकार द्वारा जारी एडवाइज़री में कहा गया है कि, “इस घटना के बाद भी, कुछ मिज़ो नागरिक समाज, छात्र और युवा संगठन लगातार असम राज्य और उसके लोगों के खिलाफ भड़काऊ बयान जारी कर रहे हैं। असम पुलिस के पास उपलब्ध वीडियो फुटेज से यह पता चला है कि कई नागरिक भारी हथियारों से लैस हैं।”
इसके मद्देनजर राज्य सरकार ने कहा कि असम के लोगों को मिजोरम की यात्रा न करने की सलाह दी जाती है और जो लोग काम से संबंधित मजबूरियों के चलते मिजोरम में रह रहे हैं, उन्हें “अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए”।
कछार जिले के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि असम-मिजोरम सीमा पर अब ‘स्थिति शांत एवं नियंत्रण’ में है। दोनों राज्यों के बीच सीमा पर लैलापुर में केंद्रीय बल मौजूद हैं और राज्य पुलिस के कर्मी अपने-अपने सीमा क्षेत्रों में 100 मीटर पीछे तैनात हैं।
वहीं दोनों राज्यों में हिंसा को लेकर कांग्रेस महासचिव एवं मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट में कहा कि, ‘देश के इतिहास में सबसे शर्मसार करने वाला दिन। जब देशवासी एक प्रांत से दूसरे प्रांत में न जा पाएं, तो क्या मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को अपने पद पर बने रहने का अधिकार है? मोदी है तो यही मुमकिन है।’