भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी शनिवार को सतना पहुंचे, जहां वे 53 वर्ष बाद अपने पुराने विद्यालय सरस्वती हायर सेकेंडरी स्कूल में लौटे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि एक धर्म युद्ध था, जो आगे भी जारी रहेगा।
जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारतीय सेना हमेशा मर्यादा और धर्म का पालन करती है। “हमने किसी भी निर्दोष व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया और न ही कभी नमाज या किसी धार्मिक प्रार्थना के दौरान हमला किया,”।
सेना प्रमुख ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर ने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। सिद्धांत और तकनीकी कौशल के संयोजन से मिशन सफल हुआ। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया गया कि भारत धर्म और नीति के मार्ग पर अडिग रहेगा।
द्विवेदी ने बताया कि इसी स्कूल में पढ़ाई के दौरान उनमें निर्णय लेने की क्षमता विकसित हुई, जिसने आगे चलकर उन्हें कई महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों में सफलता दिलाई। उन्होंने कहा कि यहीं के अनुभवों ने उनके व्यक्तित्व और राष्ट्र सेवा के संकल्प को दृढ़ बनाया।
जनरल द्विवेदी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए सफलता का सूत्र बताया — Three A: Attitude, Adaptibility, और Ability।
उन्होंने कहा कि जो युवा आज कठिन परिश्रम करेगा, वही भविष्य के भारत का निर्माण करेगा। “चाहे आप वर्दी में हों या सिविल ड्रेस में, देश की सेवा में योगदान अवश्य दें। जब हम सब मिलकर काम करेंगे, तो 2047 तक विकसित भारत का सपना साकार होगा।”