रिपोर्ट – पल्लवी त्रिपाठी
कर्नाटक : देशभर में कोरोना संक्रमण एक बार फिर तेजी से पाँव पसार रहा है। ऐसे में प्रशासन वैक्सीनेशन प्रक्रिया तेज करने में भी लग गया है। हालांकि, इस बीच कई जगहों से वैक्सीन की काला बाजारी की खबरें आ रही हैं। पुलिस प्रशासन वैक्सीन की ब्लैक मार्केटिंग को लेकर अलर्ट मोड में आ गया है।
कोरोना संकट के बीच जहाँ कुछ लोग मदद के हाथ बढ़ा रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो दवाओं के नाम पर लोगों को धोखा दे रहे हैं। कर्नाटक के मैसूर में ऐसे ही एक गिरोह का खुलासा हुआ है। पुलिस ने गैंग के सरगना पुरुष नर्स को गिरफ्तार कर लिया है।
मैसुरु के पुलिस कमिश्नर डॉ चंद्रगुप्त ने मामले को लेकर बताया कि ऐसी अफवाहें थीं कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी मांग की वजह से जमाखोरी और ब्लैकमार्केटिंग की जा रही है। ऐसे में पुलिस की ओर से सघन सतर्कता अभियान चलाए जाने के दौरान स्टाफ नर्स गिरीश के एक गिरोह का मास्टरमाइंड होने का पता चला।
उन्होंने बताया कि ये गिरोह विभिन्न कंपनियों की रेमडेसिविर बॉटल्स को रीसाइकल कर एंटीबायोटिक्स और सेलाइन से भर देता था और फिर उसकी मार्केटिंग किया करता था। गिरीश पिछले साल से ही ऐसा करता आ रहा है। बता दें कि पुलिस ने आरोपी गिरीश के साथ उसके कुछ सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक, यह गिरोह कई राज्योत में सक्रिय है।
डॉ चंद्रगुप्त ने कहा कि इस मामले में ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इस गिरोह के तार कहां-कहां तक जुड़े हैं। गिरीश जेएसएस अस्पताल में स्टाफ नर्स के तौर पर तैनात था और इस सारे नापाक काम को अपने घर से ही अंजाम दे रहा था।