नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल सरकार अपने तानाशाह रवैये के कारण लगातार कानून के साथ-साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रही है। इसे लेकर उसने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की। जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाया और डीजीपी की नियुक्ति की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया। कोर्ट ने कहा कि आपकी इस तरह की याचिका पहले भी खारिज हो चुकी हैं। आप बार- बार ऐसी याचिका दाखिल मत करिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि ये कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। आप यह नहीं कर सकते। हमारे पहले के आदेश में किसी संशोधन की जरूरत नहीं है। पीठ ने कहा कि हमने आपका आवेदन देखा है। आप अभी जो प्वाइंट उठा रहे हैं, ठीक वही है जो आपने पहले उठाया था कि डीजीपी की नियुक्ति में यूपीएससी की भूमिका नहीं होनी चाहिए। जब मुख्य मामला सुनवाई में ले लिया जाएगा तो आप इस मामले पर बहस कर सकते हैं। मगर हम इसकी याचिका की अनुमति नहीं दे सकते हैं। यह प्रक्रिया का दुरुपयोग है। हम आपके आवेदन को खारिज करते हैं। हम इस तरह की याचिकाएं नहीं सुन सकते हैं। हम इन आवेदनों पर इतना समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि अगर राज्य भी इस तरह से मामले दायर करना शुरू करते हैं तो उसके लिए अन्य मामलों की सुनवाई के लिए समय निकालना मुश्किल होगा। बता दें कि राज्य सरकार ने पुलिस सुधारों को लेकर ‘प्रकाश सिंह’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश में संशोधन को लेकर हस्तक्षेप याचिका दायर की है। राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि पुलिस अधिकारियों की निगरानी का राज्य सरकार को अधिकार होता है। लेकिन शीर्ष अदालत का नकारात्मक रुख देखकर उन्होंने याचिका वापस लेने की अनुमति देने का अनुरोध खंडपीठ से किया, जिसे उसने स्वीकार कर लिया।
सुनवाई के दौरान पुलिस सुधार मामले के मुख्य याचिकाकर्ता प्रकाश सिंह की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने न्यायालय से सुनवाई यथाशीघ्र सुनने का अनुरोध किया, इस पर खंडपीठ ने अक्टूबर में सुनवाई का निर्णय लिया। बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग की थी कि राज्य सरकार को बिना संघ लोक सेवा आयोग के दखल के डीजीपी नियुक्त करने की अनुमति दी जाए।
हालांकि, न्यायमूर्ति नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार को पुलिस सुधार से संबंधित मुख्य मामले में पक्षकार बनने की इजाजत दे दी।
बंगाल सरकार ने दाखिल किया था याचिका
पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि यूपीएससी के पास न तो अधिकार क्षेत्र है और ना ही उसमें किसी राज्य के डीजीपी पर विचार करने और नियुक्त करने की विशेषज्ञता है। सरकार ने कहा है कि यह भारतीय संघीय शासन प्रणाली के अनुरूप नहीं है। ये अर्जी ममता बनर्जी सरकार द्वारा 1986 बैच के एक आईपीएस अधिकारी को राज्य के कार्यवाहक डीजीपी के रूप में नामित करने के एक दिन बाद दाखिल की गई है जबकि नए डीजीपी के चयन को लेकर राज्य और यूपीएससी के बीच खींचतान चल रही है।