रिपोर्ट: सत्यम दुबे
मुंबई: एक ओर महाराष्ट्र बढ़ते कोरोना महामारी से जूझ रहा है, तो दूसरी ओर सियासी उथल-पुथल से जूझ रहा है। कोरोना महामारी दिन पर दिन राज्य को अपनी चपेट में ले रही है, तो वहीं उद्धव सरकार पर दिन पर दिन आरोप भी बढ़ता ही जा रहा है। राज्य के गृह मंत्री पर एक बड़ा आरोप लगा, और इस आरोप को कोई सियासी पार्टी ने नहीं लगाया है, बल्कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और सरकार के सबसे बड़े वजीर परमवीर सिंह ने लगाया है।
दरअसल, एंटीलिया केस की जॉच कर रही केंद्रीय एजेंसी NIA ने मुंबई पुलिस अफसर सचिन वाजे पर अपना शिकंजा कसा, जिसके बाद वाजे को सस्पेंड कर दिया गया। NIA एटीलिया और मनसुख हिरेन की मौत के मामले में वाजे को गिरफ्तार कर पूछताछ कर रही है। इसी बीच सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए मंपबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह का तबादला कर दिया। परमवीर सिंह को होमगार्ड विभाग का डीजी बना दिया।
इसके बाद परमवीर सिंह ने एक पत्र लिखा और खुलासा किया कि गृह मंत्री अनिल देशमुख हर महीने 100 करोंड़ रुपये इकठ्ठा करने का दबाव बनाते थे। इसके बाद मामला इतना तूल पकड़ लिया है कि, महाराष्ट्र में सरकार का विरोध तो हो ही रहा है, सोमवार को य़ह मामला संसद में भी गूंजा। इतनी ही नहीं संसद में उद्धव सरकार को बर्खास्त करने की मांग की गई।
वहीं दूसरी ओर सोमवार को ही गृह मंत्री अनिल देशमुख आपने सरकार निवास से निकलकर सह्याद्रि गेस्ट हाउस पहुंचे। जहां उनके साथ गृह विभाग के कुछ अधिकारी भी मौजूद थे। गृह मंत्री देशमुख ने रात 8 बजे से लेकर 11 बजे तक गृह विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसके बाद देशमुख वहां से निकलकर अपने सरकारी अवास लौट गये।
सोमवार को ही एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अनिल देशमुख का बचाव किया। उन्होने कहा कि वाजे और देशमुख के बीच बातचीत का जो आरोप लगा है, वह सरासर गलत है। उन्होने कहा कि फरवरी महीने में देशमुख अस्पताल में भर्ती थे। इतना ही नहीं उन्होने देशमुख के अस्पताल में भर्ती होने का पर्चा भी दिखाया और कहा कि कोरोना वायरस की संक्रमण की वजह से वह 5 से 15 फरवरी तक नागपुर के अस्पताल में भर्ती थे।