नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि अमेरिका के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से बाहर होने की घोषणा का भारत में इस वैश्विक एजेंसी के साथ चल रही परियोजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत अपनी स्वास्थ्य योजनाओं को WHO के सहयोग से बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ाता रहेगा।
जेपी नड्डा ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि भारत WHO के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक है, और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत किसी पर निर्भर नहीं है। उन्होंने कहा, “हमारी परियोजनाएं और अभियानों में कोई बाधा नहीं आएगी। डब्ल्यूएचओ हमारे साथ कई परियोजनाओं में साझेदारी करता है, लेकिन भारत ने हमेशा अपनी योजनाओं को सफलतापूर्वक संचालित किया है।”
स्वास्थ्य प्राथमिकता क्षेत्र है- नड्डा
नड्डा ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत पिछले 10 वर्षों में हुई प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा, “स्वास्थ्य एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है, और इस क्षेत्र में कभी भी वित्तीय कमी नहीं आई है।” उन्होंने राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मिशन, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (PMNDP) और राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम जैसी पहलों का उल्लेख किया, जो स्वास्थ्य सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि NHM के तहत केंद्रीय अनुदान में 2014 से 185 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो सरकार की स्वास्थ्य क्षेत्र में निरंतर बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
अमेरिका ने WHO से काम बंद करने का आदेश दिया
वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने WHO के साथ काम बंद करने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद, अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) को WHO से जुड़े सभी कार्यों को तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्देश दिया गया। ट्रंप प्रशासन ने CDC कर्मचारियों को WHO के लिए अपने सभी कार्यों को बंद करने और वापस लौटने का आदेश दिया है।
जेपी नड्डा ने स्पष्ट किया कि भारत की स्वास्थ्य योजनाओं और WHO के साथ चल रहे अभियानों पर अमेरिका के इस निर्णय का कोई असर नहीं होगा। भारत ने WHO के साथ अपनी साझेदारी को निरंतर बनाए रखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।