नई दिल्ली : अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद तालिबान लगातार अफगानी नागरिकों पर जुल्म ढ़ा रहा है, साथ ही उसके अन्य प्रांतों को भी अपने कब्जे में लेने की कोशिश कर रहा है। वहीं अन्य देश अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों को बचाने में लगा है, जिससे उन्हें सुरक्षित निकाला जा सकें। इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का अपनी सेना की वापसी को लेकर बड़ा बयान सामने आया है।
बाइडेन ने कहा है कि, जब तक अफगानिस्तान में रह रहा अमेरिका का हर नागरिक वहां से सुरक्षित नहीं निकाल लिया जाता है तब तक उनकी सेना वापस नहीं लौटेगी। फिर चाहे इसके लिए हमें तालिबान के कब्जे वाले काबुल शहर में तय वक्त 31 अगस्त से ज्यादा समय तक रुकना पड़े। बता दें कि अमेरिका ने हर हाल में 31 अगस्त तक सेना की वापसी का ऐलान किया था जिसके बाद तालिबान ने तेजी से अफगानिस्तान पर कब्जा किया है।
जो बाइडेन ने कहा कि तालिबान के कब्जे में आने के बाद अफगानिस्तान में अफरातफरी का माहौल बनना तय था। इसे टाला नहीं जा सकता था। उन्होंने कहा कि, “अगर तय डेडलाइन के बाद भी अफगानिस्तान से वापसी के लिए अमेरिकी नागरिक बचते हैं तो जब तक उन सब की वापसी नहीं हो जाती हम वहां मौजूद रहेंगे।” हालांकि अमेरिकी सैनिकों के वहां रहने की ये समय सीमा किस तरह से बढ़ेगी इस बात को लेकर बाइडेन ने कोई जानकारी नहीं दी है।
बिना परेशानी अपने नागरिकों को निकालना चाहते हैं अमेरिका
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि, “हम चाहते है कि अफगानिस्तान में मौजूद अपने नागरिकों को हम बिना किसी परेशानी के वहां से वापस ला सकें। ये कैसे होगा इसके बारे में फिलहाल मैं कुछ नहीं कह सकता।” साथ ही उन्होंने कहा कि, “तालिबान फिलहाल अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी नागरिक, सेना और दूतावास के अधिकारियों को वहां से निकालने में हमारी मदद कर रहा है।” उन्होंने कहा कि, “हालांकि वहां समय समय पर हमारी मदद करने वाले अफगानी नागरिकों को निकालने में हमें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।”
इंटेलिजेन्स फेल्यर की बात नकारी
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से अमेरिकी सरकार के इंटेलिजेन्स फेल्यर की बात कही जा रही है। हालांकि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस बात को पूरी तरह से नकार दिया। उन्होंने कहा कि, “ये केवल चॉइस का मामला था। हमारे सामने दो रास्ते थे या तो हम तय समय के अनुसार अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुला लें या वहां और ज्यादा अमेरिकी सैनिक भेजें। हमें जो सही लगा हमनें वो फैसला लिया।”
बता दें कि इससे पहले तालिबान ने सीधे-सीधे अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा था कि 11 सितंबर तक अमेरिका अफगानिस्तान छोड़ दे। इसके बाद अमेरिका का यह बयान तालिबान के लिए किसी चुनौती से कम नही है। क्योंकि अमेरिकी सरकार का साफ कहना है कि जब तक वे अपने प्रत्येक नागरिकों को सुरक्षित नहीं निकाल लेते, तब तक अमेरिकी सेना वहां तैनात रहेगी। जिससे तालिबान लड़ाकों का सरदर्द बढ़ना तय है।