रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: कोरोना के दूसरे लहर के कारण लोगो ने बड़ी संख्या में अपनी जान गंवाई है, तो डॉक्टरों की भी लापरवाही सामने आई है। लापरवाही का ताजा मामला आंध्र प्रदेश के विजवाड़ा से सामने आई है। जहां एक शख्स की पत्नी कोरोना संक्रमित हुई तो उसे हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। मिरर में छपी रिपोर्ट की मानें तो शख्स अपनी पत्नी से मिलने हर दिन जाता था। लेकिन जब वह बीते 15 मई को हॉस्पिटल पहुंचे तो उसे अस्पताल प्रशासन की तरफ से बताया गया कि उसकी पत्नी की मौत हो गई है।
इसके बाद अस्पताल से की ओर से कहा गया कि पत्नी की बॉडी आपको बैग में पैक करके दी जा रही है, बिना पीपीई किट, मास्क और ग्लव्स पहनें बॉडी को न छुएं। शख्स अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार करके श्मशान घाट से जब घर लौटा तो उसने देखा कि पत्नी तो घर पर है और जिंदा है। इसके साथ ही उसकी पत्नी गुस्से में है कि उसे कोई लेने क्यों नहीं आया? इस मामले की सोशल मीडिया पर अब खूब चर्चा हो रही है।
अस्पताल से डेड बॉडी मिलने के बाद शख्स अंतिम संस्कार के लिए अपनी पत्नी के शव को अपने पैतृक गांव ले गया। इस बीच खबर आई की उसके बेटे की भी मौत हो गई है। घर में मातम का माहौल छा गया। फिर तय किया गया कि मां और बेटे का अंतिम संस्कार एक साथ किया जाएगा।
जब अंतिम संस्कार करके शख्स अपने घर लौटा तो उसने देखा कि पत्नी तो जिंदा है। उसे पैसे उधार लेकर टैक्सी करके घर आना पड़ा। वह इस बात से नाराज थी कि डिस्चार्ज के वक्त हॉस्पिटल में उसे लेने कोई नहीं आया। महिला की उम्र करीब 75 साल है।
मामले का खुलासा होने के बाद अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सामने आई है। पीड़ित परिवार को किसी और का शव दे दिया गया था जबकि महिला जिंदा थी। कोरोना संक्रमित होने की वजह से किसी ने बैग खोलकर मृतक महिला का चेहरा नहीं देखा, इस कारण से शव के किसी और का होने का पता नहीं लगा।