वित्त वर्ष 2018-2019 में देश की सबसे बड़ी एनबीएफसी में से एक आइएलएंडएफएस में आए वित्तीय संकट के बाद से ही बैंक इस सेक्टर को कर्ज देने में आनाकानी कर रहे हैं। उसके बाद कुछ ही महीनों के भीतर डीएचएफएल और रिलायंस फाइनेंस जैसी स्थापित एनबीएफसी में वित्तीय संकट पैदा होने के बाद बैंकों ने बाकी एनबीएफसी को भी फंड मुहैया कराने से हाथ खींचने शुरू कर दिए हैं।
बैंकों की यह कशमकश अभी तक खत्म नहीं हो पाई है। वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2020 में एनबीएफसी की तरफ से वितरित कर्ज की रफ्तार 17.8 से घटकर 1.9 फीसद रह गई है। जबकि इस दौरान बैंकों की तरफ से वितरित कर्ज की रफ्तार 13.4 से घटकर 6.1 फीसद पर आई है।
फिच रेटिंग एजेंसी ने भी हाल की एक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना प्रभाव से भारतीय इकोनॉमी तेजी से उबर रही है। लेकिन एनबीएफसी एक ऐसा वर्ग है जिसकी स्थिति सुधरने की गुंजाइश नहीं दिखती है। एमएसएमई व कंस्ट्रक्शन जैसे प्रमुख क्षेत्रों को कर्ज देने वाली एनबीएफसी के लिए तो स्थिति ज्यादा कठिन दिखाई देती है।
हालांकि. पर्सनल लोन या घरेलू सामान की खरीद के लिए कर्ज देने वाली एनबीएफसी की स्थिति में सुधार होगा। होम लोन व गोल्ड लोन देने वाली एनबीएफसी की स्थिति भी मांग में सुधार की वजह से बेहतर होगी।