रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: दुनिया कोरोना महामारी से जंग लड़ रही तो, वहीं इजराइल और हमास आपस में ही एक दूसरे से भिड़ गये थे। इजराइल ने गाजा पट्टी में हवाई हमलों से तहलका मचा दिया था, तो नहीं हमास भी इजराइल पर इतने रॉकेट दागे कि गिनना मुश्किल हो गया। 11 दिन तक चले इस भीषण युद्ध से इजराइल जन-जीवन ठप हो गया था, जबकि दोनो तरफ से 200 लोग मारे गये। गुरुवार को इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सुरक्षा कैबिनेट ने ग़जा़ पट्टी में 11 दिन से चल रहे सैन्य अभियान को रोकने के लिए एकतरफा संघर्षविराम को मंजूरी दी है। मीडिया में आयी खबरों के मुताबिक हमलों को रोकने के लिए अमेरिका की ओर से दबाव बनाए जाने के बाद यह फैसला किया गया है।
आपको बता दें कि संघर्षविराम की घोषणा पर नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि उनके सुरक्षा मंत्रिमंडल ने इजरायल के सैन्य प्रमुख और अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की सिफारिशों के बाद मिस्र के संघर्ष विराम प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया है। आगे कहा गया कि “ऑपरेशन में महत्वपूर्ण उपलब्धियां भी मिलीं जो बहुत अभूतपूर्व हैं।“ बयान के मुताबिक, “राजनीतिक नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि जमीनी हकीकत ऑपरेशन का भविष्य तय करेगी।” इजरायली पीएम के कार्यालय द्वारा दिए गए इस बयान को हमास के लिए धमकी की तरह माना जा रहा है।
इजराइल ने ग़ाजा़ को सबसे ज्यादा निशाने पर लिया गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो 65 बच्चों और 39 महिलाओं सहित कम से कम 230 फिलीस्तीनियों की मौत हो गई। वहीं 1,710 लोग घायल हो गए। जबकि दूसरी ओर इजराइल में 5 साल के लड़के और 16 साल की लड़की समेत 12 लोगों की मौत हुई है।
दोनो देशों के बीच संघर्ष विराम के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायल-गाजा युद्धविराम की पुष्टि की है। बाइडन ने युद्धविराम के लिए इज़राइल की सराहना की। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने आतंकवादी समूहों से खुद का बचाव करने के लिए इजरायल का समर्थन किया। उन्होने आगे कहा कि उनका प्रशासन यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि भविष्य के लिए आइरन डोम सिस्टम की पूर्ति की जाए। इसके साथ ही बाइडेन ने कहा- “मेरा मानना है कि हमारे पास आगे बढ़ने का एक वास्तविक अवसर है, और मैं इसके लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।”
आपको बता दें कि इजराइल और हमास के बीच संघर्ष विराम प्रधानमंत्री नेतन्याहू के लिए संवेदनशील समय पर आया है। इसी साल मार्च में एक अनिर्णायक चुनाव के बाद नेतन्याहू संसद में बहुमत का गठबंधन बनाने में विफल रहे। उनके विरोधियों के पास अब अपनी वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए 2 जून तक का समय है।