मल्टीग्रेन आटे में कई सारे अनाज मिलाकर आटा बनाया जाता है। इस आटे में बाजरा, ज्वार, जौ, कोडो और किनोआ जैसे खनिज को मिलाकर बनाया जाता है। मल्टीग्रेन आटा दो या दो से अधिक अनाजों को मिलाकर बनाया जाता है। ऐसे में इसका पोषण मूल्य गेहूं जैसे एकल अनाज के आटे से अधिक होता है जो की प्रोटीन, फाइबर और कई सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और शरीर को संपूर्ण पोषण प्रदान करने का कार्य करते हैं। परंतु इसका ज्यादा सेवन शरीर के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है।
मल्टीग्रेन आटे में कई सारे अनाज मिलाकर आटा बनाया जाता है। इस आटे में बाजरा, ज्वार, जौ, कोडो और किनोआ जैसे खनिज को मिलाकर बनाया जाता है। मल्टीग्रेन आटा दो या दो से अधिक अनाजों को मिलाकर बनाया जाता है।
ऐसे में इसका पोषण मूल्य गेहूं जैसे एकल अनाज के आटे से अधिक होता है जो की प्रोटीन, फाइबर और कई सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और शरीर को संपूर्ण पोषण प्रदान करने का कार्य करते हैं। परंतु इसका ज्यादा सेवन शरीर के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है।
पाचन से जुड़ी परेशानी
मल्टीग्रेन आटे में अनाज और बीजों को मिक्सकर बनाया जाता है। जिसकी वजह से इसे पचाना मुश्किल हो जाता है। मल्टीग्रेन आटा डाइजेस्ट होने में काफी समय लेता है जिससे ब्लॉटिंग, पेट दर्द, पेट फूलने की समस्या हो सकती है।
डॉ. खादर वल्लि डुडुकेला के अनुसार मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी जीवन शैली की बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए बाजरे खाने की बात करते हैं जिसमें फियोक्सटेल बाजरा, बार्नयार्ड बाजरा, ब्राउनटॉप बाजरा, लिटिल बाजरा और कोडो बाजरा जैसे मोटे आनाज़ को भोजन में शामिल करने की बात करते हैं। परंतु वे इन अनाजों को मिक्स करके खाने के पक्ष में नहीं हैं। वे इन आनाजों को श्री धान्य मिलट आनाज की संज्ञा देते हैं। और ये अनाज अलग-अलग समय पर सेवन करना लाभकारी होता है।
मल्टीग्रेन आटे का सेवन करने से फायदा पूरे तरह से नहीं मिल पाता है। क्योंकि इन अनाजों को खाते ही शरीर में त्वरित ग्लूकोज़ का संचलन ब्लड में होने लगता है। ऐसे में लीवर, पैंक्रियाज़ और एंडोक्राइन ग्लैंड इस अनाज को पचाने में लग जाते हैं पर न्यूट्रिसन के भंडार को देखकर सिस्टम सटीक से काम नहीं कर पाता है और अनाज ठीक से पच नहीं पाता है।
जिससे शरीर जरूरी न्यूट्रिशन अब्जॉर्ब नहीं कर पाते हैं। ऐसे में प्रत्येक मिलेट को हफ्टे में केवल दो दिन ही किसी भी रूप में फिर चाहे रोटी के रूप में, चाहे दलिया के रूप में, चीला के रूप में, डोसा या इडली के रूप में बनाइए। किसी भी रूप में आप इसे खा सकते हैं। लेकिन एक अनाज को केवल दो दिन खाएं। ऐसे में ये अनाज 10 दिन तक चलेगा और फिर यही सर्कल दोहराएं।
मल्टीग्रेन आटे का सेवन करने से कब्ज की समस्या हो सकती है। पाचन में समय लगने की वजह से यह आंतों में रह जाता है जिससे कब्ज की परेशानी हो जाती है।
अनाज खाने का सही समय क्या होता है
जौ का ब्रेकफास्ट में खाना चाहिए। वहीं ब्राउन राइस को लंच में खाना चाहिए। राजगिरा को डिनर में खाना चाहिए।
क्या रोजाना खा सकते मल्टीग्रेन आटा
मल्टीग्रेन आटे की रोटियां रोजाना खाना सही नहीं है। कई ऐसे सीड्स या ग्रेन्स हैं, जिन्हें कई बीमारियों में अवॉइड किया जाता है।
मल्टीग्रेन ब्रेड साबुत अनाज हो सकती है लेकिन परिष्कृत अनाज भी हो सकती है और वजन घटाने में बाधा बन सकती है । सभी साबुत अनाज आटे के लिए सामग्री सूची की जाँच करना सुनिश्चित करें।
विभिन्न अनाजों का संयोजन आपके पाचन तंत्र पर दबाव डाल सकता है, जिससे मिश्रित अवयवों को तोड़ने में अधिक मेहनत करनी पड़ेगी। इसके परिणामस्वरूप सूजन, गैस और सामान्य असुविधा हो सकती है। आपका शरीर इन मिश्रित तत्वों को कुशलतापूर्वक संसाधित करने के लिए संघर्ष कर सकता है, जिससे पाचन परेशान हो सकता है।
लेकिन हर अनाज में विटामिन, मिनरल और फाइबर की मात्रा अलग होती है जिसे पचाने में दिक्कत आती है। अलग-अलग अनाजों की पाचन दर और शरीर पर प्रभाव अलग-अलग होते हैं। मल्टीग्रेन आटा पाचन तंत्र पर भारी पड़ता है इसलिए इसके सेवन से बचना चाहिए।
मल्टीग्रेन आटा किस चीज से बनता है?
मल्टीग्रेन आटा आमतौर पर कम से कम दो साबुत अनाज से बनाया जाता है, लेकिन आमतौर पर इसमें 7 या अधिक अनाज होते हैं, जिनमें कोदो, बाजरा(Brown-top), जौ(Barley), गेहूं(Wheat), जई(ओट्स), ब्राउन चावल और यहां तक कि बीज भी शामिल हैं। आम तौर पर उपयोग किए जाने वाले बीजों में अलसी और क्विनोआ शामिल हैं।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा की राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।