मनु चौधरी की कलम से
क्या किसी भी राजनीतिक दल में इतनी हिम्मत है कि वो आरक्षण जैसे नासूर को ख़तम कर दे और नेताओं को राजा बनाना बंद कर दें ? वो महल सरीखे घर में रहें और आम जन सड़कों पर। आखिर कब तक सियासत का ये गन्दा खेल मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम की धरती पर खेला जाता रहेगा ?
मैं व्यथित हूँ ये सोच कर कि वहां मणिपुर जल रहा है और यहाँ 45 करोड़ का आम आदमी इंडिया में ही मिल सकता है। कैसा मेरा देश आज़ाद हुआ और उसके बाद उधार के लिए सविंधान में कैसे – कैसे संशोधन करके आज देश को किस चौराहे पर ला कर खड़ा कर दिया जहाँ से हर रास्ता केवल खतरों से भरा पड़ा है। यहाँ सफेदपोश नेताओं की आत्मा काली और जनता दिमाग से खाली है वर्ना इतने चुनाव हो जाने के बाद भी आज भी यहाँ न वोट बिकती और न ही फ्री, फ्री, फ्री की सियासत ही हमारी रगो में दौड़ रही होती। न जाने सही मायने में लोकतंत्र कब आएगा जहां सरकार जनता के लिए होगी और जनता देश के लिए।
जब सही मायने में सरकार और जनता का तालमेल बनेगा तभी सही मायने में भारत में राम राज्य आएगा। अब देखना ये है कि राजनीतिक दल, नेता, सरकारें और जनता कब तक सोती रहना चाहती है या कभी इनका भी सवेरा होगा ? क्या कभी इन सरकारों की, इनके नेताओं की, और जनता की आँखें खुलती भी हैं या नहीं।
Copyright Manu Chaudhary