{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से }
संसार का प्रत्येक कार्य मनुष्य के द्वारा ही संपादित किया जाता है लेकिन अध्ययन का कार्य हर व्यक्ति नहीं कर सकता। आखिर ऐसा क्यों है ?
हर कर्म के पीछे एक कारण होता है। वो प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देता है लेकिन अगर आप किसी छात्र को शालीनता से देखे तो आपको वो समझ आएगा।
अब आपको अवश्य अनुभूति होने लग जायेगी की क्यों बच्चा शिक्षा ग्रहण करने से कतरा रहा है। क्यों वो लापरवाही रहा है या क्यों उसका मन नहीं लग रहा है।
कोई भी बात याद नहीं होगा, गृह कार्य पूरा नहीं होना, स्कूल में नहीं जाना, पढाई में मन नहीं लगना ये सब क्यों होता है ?
कई बार हम देखते है बच्चा स्कूल में पैसे भी उधार करने लग जाता है। गलत संगत करता है। अनुचित कार्य करता है। इसका कारण है आत्मा पर विद्या का लेप नहीं होना।
कई ऐसे घर है जिनमें जानवरों को पकड़ना, उनका शिकार करना, उन्हें बेचना बस यही काम बच्चा करता है। इसलिए उसकी आत्मा पर विद्या का लेप नहीं आता है।
अगर बच्चे को अच्छी संगत दी जाए, उस पर काम किया और उसे संस्कार दिए जाए तो वो ज्ञान को समझ सकता है।