{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से }
कलह दो लोगों में हो, परिवार में हो या फिर देशों में हो अगर समय रहते उसका समाधान निकाल लिया जाए तो वो हित में रहता है अन्यथा उसके परिणाम भीषण हो जाते है।
वैसे तो इस संसार में सारे कार्य ईश्वर के द्वारा ही सम्पादित किये जाते है लेकिन मनुष्य के कर्मों का भी बड़ा योगदान होता है। युद्ध की विभीषिका क्या होगी ! इसी को ध्यान में रखकर इंसान को निर्णय लेना चाहिए।
जब दो देशों में युद्ध होता है तो उसके उपरांत ना सिर्फ विकास की रफ्तार धीमी होती है बल्कि आर्थिक तौर से भी कमर टूट जाती है। अरबो के हथियार और खर्च करना पड़ता है। ना जाने कितने जवानों की हानि झेलनी होती है।
जब विश्व युद्ध हो जाते है तो बड़े पैमाने पर जन धन की हानि होती है। देश 10 साल पीछे चले जाते है। बड़े स्तर पर पुन: निर्माण करना होता है।
इसके बारे में सोचकर ही दिल बैठ जाता है क्यूंकि पता नहीं कौनसा देश किसके पक्ष में जाएगा ! कई देश पहले बता देते है लेकिन कई बस इंतज़ार में रहते है। कई देश धोखा भी दे सकते है।
विश्व युद्ध नहीं आप इसे विनाश युद्ध कहिये जिमसें सब कुछ खत्म हो जाता है। इसका अंत बड़ा ही हृदय विदारक होता है। अमेरिका द्वारा गिराए गए परमाणु बम के निशान आज भी नागासाकी में मौजूद है।