सोमवार सो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विजय माल्या शीर्ष न्यायालय में लंबित अपनी याचिता का इस्तेमाल अन्य न्यायाधिकार क्षेत्रों में उनके खिलाफ शुरू की गई दिवालिया कार्रवाई पर रोक के लिए नहीं कर सकते हैं। शीर्ष अदालत को केंद्र ने सूचित किया था कि माल्या ने ब्रिटेन की अदालत में दिलाविया कार्रवाई में फैसला सुनाने से रोकने के लिए अपनी लंबित याचिका का इस्तेमाल किया था। जिसके बाद चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश पारित किया।
माल्या ने 27 जून को शीर्ष अदालत से उसकी और उसके संबंधियों की संपत्तियों की कुर्की पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। माल्या वर्तमान में ब्रिटेन में हैं। उस पर प्रवर्तन निदेशालय ने बैंकों से लिए 9,000 करोड़ रुपए के कर्ज वापस नहीं करने का आरोप लगाया है। ब्रिटेन में माल्या के खिलाफ प्रत्यर्पण कार्रवाई भी चल रही है।
बताते चलें कि, इससे पहले स्टेट बैंक के नेतृत्य में भारतीय बैंकों ने लंदन की एक अदालत से विजय माल्या की संपत्ति जब्त कराने और उसे दिलाविया घोषित कराने की मांग की थी। माल्या इन बैंकों के 9 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा लेकर ब्रिटेन भाग गया था। इसके बाद लंदन कोर्ट ने माल्या को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।