बुधवार से ही बैराजों के बढ़े डिस्चार्ज से यह साबित हो गया था कि अगले दिन से ही घाघरा नदी में तूफान आना तय है। मगर जिम्मेदार इस बात से पूरी तरीके से पल्ला झाड़े नजर आ रहे है। फिलहाल जिस बात का डर था वही हुआ। गुरुवार की रात से ही जब नदी का जलस्तर बढ़ा तो नकहरा गांव के 9 मजरे पानी में डूब गए। वही बेहटा, परसावल, नेपुरा सहित माझा रायपुर में घाघरा के पानी ने कोहराम मचा दिया।
शुक्रवार को यहां का हाल जानने पहुंची हिंदुस्तान टीम ने पाया कि पूरा नकहरा गांव जलमग्न हो चुका है। यहां के लोग सुरक्षित स्थानों पर शरण ले रहे है। सबसे अधिक दिक्कत पशुओं को हो रही है। उनको न तो चारा मिल रहा है। और ना ही रहने का उचित स्थान। नकहरा गांव की पूरी आबादी बाढ़ की चपेट में है। लोग यहां बनाए गए रिंग बांध पर शरण लेते नजर आ रहे हैं। जहां तक प्रशासनिक मदद की बात की जाए तो अभी तक यहां कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। कागजों में सिर्फ बाढ़ केंद्र गौरा सिंहपुर को सक्रिय दिखाया गया है। मौके पर केवल हल्का लेखपाल तेज बहादुर ही दिखाई दिए।
इधर सिंचाई विभाग का दावा है कि बांध को कोई खतरा नहीं है। जबकि बांध रेन कट से पूरी तरह जर्जर हो चुका है। घाघरा घाट स्थित केंद्रीय जल आयोग संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार की सुबह नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 95 सेंटीमीटर ऊपर तक पहुंच चुका है। जलस्तर में बढ़त अभी जारी है। यहां के ग्राम प्रधान छेदीलाल ने बताया कि नकहरा गांव के 9 मजरे पूरी तरीके से बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं।