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राममंदिर भूमिपूजन: कांची का ताम्र अनुशासन बताएगा मंदिर का महत्व और मंतव्य

By: RNI Hindi Desk 
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राममंदिर भूमिपूजन: कांची का ताम्र अनुशासन बताएगा मंदिर का महत्व और मंतव्य

कांची मठ के शंकराचार्य की ओर से तैयार ताम्र अनुशासन अगली पीढ़ियों को अयोध्या के श्रीराम मंदिर के महत्व, मुहूर्त और मंतव्य से परिचित कराता रहेगा। इस पर मंदिर निर्माण आरंभ होने के मुहूर्त के साथ सनातनी धर्म दर्शन के 12 आदर्श वाक्य अंकित हैं। दक्षिणात्य विद्वानों के निर्देशन में काशी में तैयार ताम्र अनुशासन राम मंदिर के गर्भगृह में विग्रह की दायीं दीवार पर मढ़ा जाएगा। 

कांची कामकोटि मठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने ताम्र अनुशासन की विषय वस्तु तैयार की है। इस पर सबसे ऊपर ‘श्रीरामाय नमः’ लिखा है। प्रथम अंश में मंदिर निर्माण आरंभ और मुहूर्त का संस्कृत में वर्णन इस प्रकार है- ‘स्वस्ति श्री विक्रम संवत्-2077 तमे शालिवाहन शके 1942तमे शार्वरि नाम संवत्सरे पूर्णिमान्त मासानुसारं भाद्रपद मासे अमान्त मासानुसारं श्रावण मासे कृष्णपक्षे द्वितीया तिथौ बुधवासरे धनिष्ठा नक्षत्रोपरि शततारका नक्षत्रे शोभन योगे गर करणे तुला लग्ने शुभ मुहूर्ते शुभ दिने अयोध्यायां श्रीराम जन्मभूमौ  श्रीराम मन्दिर निर्माण प्रारम्भः समपत्स्यत।’

ताम्र अनुशासन पर अंकित ये हैं 12 वाक्य
बारह आदर्श वाक्यों के माध्यम से सनातन धर्म दर्शन में राम की महत्ता को दर्शाया गया है। प्रथम वाक्य है-‘बलं विष्णोः प्रवर्धताम्’-विष्णु का बल बढ़ता रहे। दूसरे वाक्य में ‘योगक्षेमो नः कल्पताम्’ के माध्यम से सबकी कुशलता और तीसरे वाक्य में शिव की प्रसन्नता ‘शिवो नः सुमना भव’ मांगी गई है। चौथे वाक्य ‘सा नो देवी सुहवा शर्म यच्छतु’ में देवी के प्रसन्न रहने की कामना है। पांचवां वाक्य ‘सकलं भद्रमश्नुते’ के माध्यम से सदा अच्छी बात सुनने का आग्रह करता है।

छठे वाक्य में ‘रामो विग्रहवान् धर्मः’-श्रीराम साक्षात धर्म के विग्रह हैं-अंकित है। सातवें वाक्य में जननी और जन्मभूमि को स्वर्ग से ऊंचा आसन देने का संदेश ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ के जरिए दिया गया है। आठवें वाक्य में ‘वेदः प्राचेत सादासीत् साक्षाद्रामायणात्मना’ से वेद मर्यादा की महत्ता वर्णित है। नौवां वाक्य ‘सीतायाश्चरितं महत्’ देवी सीता की महानता को समर्पित है। दसवें वाक्य ‘लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु’ में सभी के सुखी होने की कामना है। 11वां वाक्य वशिष्ठ मुनि का महामंत्र ‘श्रीराम जय राम जय  जय राम’ है। ताम्र अनुशासन के 12वें आदर्श वाक्य में सनातन धर्म के मूल दर्शन सर्वमंगल की कामना ‘मङ्गलम् महत्’ को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है।

भेंट किया गया स्वर्ण कमल 
श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास को अनुशासन भेंट करने वाले कांची मठ के प्रतिनिधि वीएस. मणि ने बताया कि राम मंदिर की नींव में प्रतिष्ठित करने के लिए स्वर्ण कमल भी अर्पित किया गया है। उन्होंने बताया कि काष्ठ निर्मित कमल में पांच धातुएं भरी जाती हैं। इनमें स्वर्ण की मात्रा प्रधान होती है, इसलिए इसे स्वर्ण कमल कहते हैं। पंचधातु भरने का विधान राम मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी ने पूरा किया। पूजन के दौरान ज्योतिर्विद सुब्रमण्यम, सेनापति शास्त्री भी उपस्थित थे। 

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