वाराणसी: काशी नगरी में हर कोई चाहे नर,नारी या फिर किन्नर हर कोई जीते जी या मरने के बाद मोक्ष के लिए यहां आता है। अश्विन कृष्ण प्रतिपदा से शुरू होकर अमावश्या तक चलने वाले पितृपक्ष में हर कोई अपने पितृ ऋण से मुक्त होने के लिए पींडदान करता है। पितरों के ऋण से मुक्ति के लिए काशी के घाटों पर पूरे भारत से आये श्रद्धालुओं अपने पितरों का पिंडदान किया। सुबह से ही भारी संख्या में काशी के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी संख्या देखने को मिल रही है । ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष में पूर्वज धरती पर आते है और अपने वंशजो से पिंडदान की आशा करते है जिसको लेकर पूर्वजो अपने परिवार के लोगो सुख शांति का आशीर्वाद भी देते है।