बहराइच : कोरोना संक्रमण के चलते मित्र राष्ट्र नेपाल की सीमा सील होने के कारण दोनों देशों के बीच व्यापारियों का आवागमन ठप है। इससे भारतीय व्यापारियों का करोड़ों रुपये नेपाल में व्यापारियों के यहां फंस गया है। अब नेपाल का चीन के साथ बढ़ता झुकाव भारतीय व्यापारियों की धड़कने बढ़ा रहा है।
भारत-नेपाल के बीच सामरिक व व्यापारिक रिश्ता अर्से से चला आ रहा है। मार्च माह में वैश्विक महामारी को लेकर सीमा सील कर दी गई। तब से व्यापारियों का आवागमन बाधित हो गया। अब न व्यापारियों को सामान जा रहा है और बकाया धन की वसूली हो पा रही है।
नेपाल के व्यापारियों को क्रेडिट पर नानपारा-रुपईडीहा समेत बहराइच जिले के तीन सौ व्यापारी माल मुहैया कराते थे। लखनऊ, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब के भी दो सौ से अधिक व्यापारी नेपाल से कारोबारी तौर पर जुड़े हैं। इन व्यापारियों ने तकरीबन पांच सौ करोड़ रुपये की जरूरी वस्तुएं नेपाल को आपूर्ति की थी, जिसका भुगतान लॉकडाउन के चलते रुक गया।
अब नेपाल सरकार ने लॉकडाउन आगामी 18 अक्टूबर तक बढ़ाकर भुगतान की उम्मीदों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। नेपाल में मद्देशी समुदाय के नेता गिरजा प्रसाद पाठक ने इन्हीं समस्याओं को उठाते हुए सीडीओ को ज्ञापन दिया है।
नेपाल को कोयला, गेंहू आदि गल्ला, फल-सब्जी, दवाइयां, कपड़ा, सीमेंट फैक्ट्री के लिए केमिकल, मशीनरी पार्ट्स की आपूर्ति करते हैं। कुकर समेत स्टील, लोहा, कत्था फैक्ट्री में काम करने वाले कारीगरों की भी मजदूरी फंसी है।
इसके अलावा नेपाल के भट्ठों पर बहराइच, सीतापुर, श्रावस्ती, शाहजहांपुर, पीलीभीत, बरेली के मजदूर ठेकेदार के माध्यम से कार्य करते हैं। इनका लाखों रुपये का भुगतान फंसा है।
एसएसबी के चेकपोस्ट पर नेपाल जाने के लिए आग्रह कर रहे पीलीभीत निवासी निसारुद्दीन ने बताया कि नेपाल के महालक्ष्मी सहित तीन ईंट-भट्ठों 18 लाख रुपये मजदूरी का बकाया है।
रुपईडीहा के कपड़ा व्यापारी नेता दिनेश तुलसियान एवं होजरी कारोबारी अब्दुल रहीम ने बताया कि केवल कपड़ा व्यापारियों का ही पांच करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। व्यापारी नेता हरिश्चंद्र गुप्त ने बताया कि विभिन्न प्रकार के कारोबारियों का तकरीबन पांच सौ करोड़ रुपये नेपाल में फंसा है।