अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच व्हाइट हाउस में हुई द्विपक्षीय बैठक के बाद भारत और अमेरिका के बीच एक अहम ऊर्जा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के तहत भारत अब अमेरिका से अधिक मात्रा में तेल और प्राकृतिक गैस खरीदेगा, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन को कम करने में मदद मिलेगी। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस समझौते को ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला करार दिया।
संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यह समझौता अमेरिका को भारत के लिए नंबर 1 ऊर्जा आपूर्तिकर्ता बनाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा,
“हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अमेरिका भारत को तेल और प्राकृतिक गैस का अग्रणी आपूर्तिकर्ता बने। यह दोनों देशों के लिए लाभकारी है और इससे व्यापार संतुलन में सुधार होगा।”
प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस साझेदारी को भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच यह सहयोग वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत करेगा।
ऊर्जा समझौते से क्या होंगे फायदे?
इस समझौते से भारत और अमेरिका दोनों को बड़े फायदे होंगे। भारत को सस्ती और विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति मिलेगी, जिससे उसकी ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी। वहीं, अमेरिका के लिए यह सौदा तेल और गैस निर्यात को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा।
इसके अलावा, भारत अमेरिकी परमाणु प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए अपने कानूनों में भी सुधार करेगा, जिससे भविष्य में दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग को और मजबूती मिलेगी।
आतंकवाद के खिलाफ भारत-अमेरिका साझेदारी
ऊर्जा के अलावा, भारत और अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ भी मिलकर लड़ने का संकल्प लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस कार्रवाई की जाएगी और आतंकवाद को शरण देने वाले देशों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे।
राष्ट्रपति ट्रंप ने 2008 के मुंबई हमलों के दोषियों को भारत को सौंपने के अमेरिकी फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका भारत के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करेगा।