उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति को लेकर कैबिनेट में मंजूरी के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इस फैसले पर सरकार पर तंज कसा है, साथ ही इस निर्णय को लेकर सवाल भी उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह कहीं दिल्ली से नियंत्रण हटाकर अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश तो नहीं है।
अखिलेश यादव का तंज
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में अखिलेश यादव ने लिखा, “सुना है, किसी बड़े अधिकारी को स्थाई पद देने और उसका कार्यकाल दो साल तक बढ़ाने की व्यवस्था बनाई जा रही है। अब सवाल यह है कि क्या यह व्यवस्था लागू करने वाले खुद दो साल रहेंगे?” इसके बाद उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “कहीं यह दिल्ली से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है?” उन्होंने इसे “दिल्ली बनाम लखनऊ 2.0” करार दिया।
सुना है किसी बड़े अधिकारी को स्थायी पद देने और और उसका कार्यकाल 2 साल बढ़ाने की व्यवस्था बनायी जा रही है… सवाल ये है कि व्यवस्था बनानेवाले ख़ुद 2 साल रहेंगे या नहीं।
कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है।
दिल्ली बनाम लखनऊ 2.0
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 5, 2024
कैबिनेट का महत्वपूर्ण निर्णय
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में DGP की नियुक्ति पर मंजूरी दी गई। अब राज्य में DGP की नियुक्ति राज्य सरकार के स्तर पर ही की जा सकेगी। इस फैसले के तहत “पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024” को मंजूरी दी गई, जिसमें DGP का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्ष निर्धारित किया गया है। साथ ही, एक मनोनयन समिति का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे।
मनोनयन समिति और नियुक्ति प्रक्रिया
DGP की नियुक्ति के लिए गठित मनोनयन समिति में मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग द्वारा नामित अधिकारी, यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, अपर मुख्य सचिव गृह, और एक सेवानिवृत्त DGP सदस्य के रूप में शामिल होंगे। यह समिति उन अधिकारियों के नामों पर विचार करेगी जिनकी सेवानिवृत्ति में छह माह से अधिक शेष हैं और जो वेतन मैट्रिक्स के स्तर 16 में DGP के पद पर कार्यरत हैं। इस प्रक्रिया का उद्देश्य नियुक्ति में पारदर्शिता लाना है ताकि यह चयन राजनीतिक या कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त रहे।
DGP हटाने के नियम
नियमावली के अनुसार, राज्य सरकार DGP को आपराधिक या भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाए जाने या उनके दायित्वों के निर्वहन में असफल रहने पर कार्यकाल पूरा होने से पहले भी हटाने का अधिकार रखती है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस नई नियमावली के अंतर्गत नियुक्ति प्रक्रिया किस तरह से होती है और इससे राज्य की कानून-व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है। वहीं, अखिलेश यादव के इस बयान से सियासी गर्माहट और भी बढ़ गई है, जिससे यूपी की राजनीति में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं।