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UP: अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही, मात्र 15 हजार रुपये न होने पर करीब ढाई महीने तक पड़ा रहा शव, अब हुआ अंतिम संस्कार

By: Amit ranjan 
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UP: अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही, मात्र 15 हजार रुपये न होने पर करीब ढाई महीने तक पड़ा रहा शव, अब हुआ अंतिम संस्कार

नई दिल्ली : कोरोना महामारी के दौरान कई अस्पतालों ने जहां जमकर लूटपाट का खेल खेला, वहीं कई अस्पतालों ने इंसानियत को दरकिनार कर कोरोना पीड़ित मरीज के साथ आये परिजनों के साथ दुर्व्यवहार किया। इसी बीच उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से अस्पताल प्रशासन की एक ऐसी लापरवाही की खबरें सामने आई हैं, जिसने सभी को हैरान कर दिया।

दरअसल हापुड़ जिले में अस्पताल प्रशासन ने एक कोरोना संक्रमित मरीज का शव उसके परिजनों को इसलिए नहीं दिया कि उनके पास अस्पताल के बिल भुगतान के लिए 15 हजार रूपये नहीं आये थे। पैसे के अभाव में करीब ढाई महीने तक कोरोना पॉजिटिव का शव अस्पताल में पड़ा रहा। आखिर में एनजीओ की मदद से उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। बता दें कि मामला सिटी कोतवाली इलाके का है। मृतक युवक अप्रैल महीने में कोरोना पॉजिटिव हुआ था। इलाज के लिए उसे मेरठ रेफर किया गया था। मेरठ में इलाज के दौरान व्यक्ति की मौत हो गयी थी।

अस्पताल की तरफ से मृतक की पत्नी को शव देने के लिए 15 हजार रुपये मांगे गए। मृतक की पत्नी के पास अस्पताल को देने के लिए पैसे नहीं थे। पैसों का इंतजाम करने वो हापुड़ आ गई। यहां भी बात नहीं बनी तो अपने दो बच्चों को साथ लेकर अपने गांव चल गई। इस तरह से शव को अस्पताल में रखे हुए ढाई महीने बीत गए।

जब ढाई महीने बाद भी कोई शव लेने नहीं आया तो मेरठ अस्पताल ने उसे हापुड़ स्वास्थ्य विभाग को भिजवा दिया। हापुड़ स्वास्थ्य विभाग ने तीन दिन पहले शव को जीएस मेडिकल कॉलेज में रखवा दिया और प्रशासन के सहयोग से परिजनों को ढूंढने लगे। जब परिजनों का पता चला तो उन्हें शव दे दिया गया और एनजीओ के माध्यम से शव का अंतिम संस्कार करा दिया गया।

इस मामले में हापुड़ सीएचसी प्रभारी डॉ. दिनेश खत्री का कहना है कि मृतक के भाई को मेरठ के अस्पताल से पॉजिटिव की बात बताई गई थी, लेकिन वह यह बात सुनकर भाग गया था। तब से उसने अब तक अपना मोबाइल भी स्विच ऑफ भी किया हुआ है। अब मृतक के मकान मालिक व उसकी पत्नी को ढूंढ कर शव उनके सुपुर्द कर दिया गया है। शव का अंतिम संस्कार भी एक एनजीओ के माध्यम से करा दिया गया है।

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