मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रेस-वार्ता में कहा कि सिंहस्थ 2028 के आयोजन को भव्य रूप देने और उज्जैन को धार्मिक शहर के रूप में विकसित करने के लिए साधु-संतों, महंतों, अखाड़ा प्रमुखों और महामंडलेश्वरों के लिए स्थायी आश्रम बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि निजी होटलों में ठहरने में आने वाली परेशानियों और महंगे खर्चों से बचाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।
आश्रम निर्माण की योजना
हरिद्वार की तर्ज पर स्थायी आश्रमों का निर्माण किया जाएगा।उज्जैन विकास प्राधिकरण इस योजना को आकार देगा।साधु-संतों के लिए सड़क, बिजली, पानी, जल निकासी जैसी सुविधाओं के साथ स्थायी अधोसंरचना विकसित की जाएगी।
भूमि उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए 5 बीघा के भूखंड पर निर्माण की अनुमति दी जाएगी, जिसमें 4 बीघा क्षेत्र खुला रखा जाएगा।
अधोसंरचना विकास के कार्य
फोरलेन और सिक्सलेन सड़कें बनाई जाएंगी ताकि श्रद्धालुओं को बेहतर परिवहन सुविधाएं मिलें। धर्मशालाओं, अन्नक्षेत्रों और आयुर्वेद चिकित्सा केंद्रों का निर्माण सनातन धर्मावलंबियों की सहायता से किया जाएगा। व्यक्तिगत या व्यावसायिक उपयोग के लिए इन भूखंडों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
सिंहस्थ 2028 के मद्देनजर विशेष परियोजनाएं
उज्जैन-इंदौर सिक्स लेन की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
उज्जैन-जावरा ग्रीनफील्ड फोरलेन मार्ग का जल्द भूमिपूजन होगा।
उज्जैन के एयरस्ट्रिप को अपग्रेड कर एयरपोर्ट में बदला जाएगा ताकि पूरे साल हवाई सेवा उपलब्ध हो सके।
इंदौर-उज्जैन मेट्रो ट्रेन की सैद्धांतिक स्वीकृति
इंदौर-उज्जैन मेट्रो ट्रेन की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है।
उज्जैन, देवास, फतेहाबाद, और इंदौर को जोड़ने के लिए वंदे मेट्रो ट्रेन भी शुरू होगी, जो मेट्रो से तेज़ गति से चलेगी।
धार्मिक और बुनियादी विकास की योजना
डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन के धार्मिक स्वरूप को बनाए रखते हुए सभी विकास कार्य किए जाएंगे। सभी मार्गों को फोरलेन किया जाएगा, जिससे धार्मिक आयोजनों में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिल सके।
मीडिया से संवाद और उपस्थिति
प्रेस वार्ता में डॉ. मोहन यादव के साथ सांसद अनिल फिरोजिया, राज्यसभा सांसद बालयोगी उमेशनाथ महाराज, महापौर मुकेश टटवाल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए सभी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
उज्जैन सिंहस्थ 2028 के लिए सरकार धार्मिक और बुनियादी ढांचे पर विशेष जोर दे रही है। साधु-संतों के लिए स्थायी आश्रमों का निर्माण उज्जैन को हरिद्वार की तर्ज पर विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।