देवउठनी एकादशी कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहा जाता है, आज के दिन ही चातुर्मास खत्म हो जाता है और मंगल कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार माह की लंबी निद्रा के बाद जागते हैं और इसके साथ ही सारे शुभ मुहूर्त खुल जाते हैं।
इस दिन श्री विष्णु के एक रूप शालिग्राम का तुलसी के साथ विवाह करवाया जाता है। कहा जाता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देव-शयन हो जाता है और फिर कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन, चातुर्मास का समापन होता है।
मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले को मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन श्री विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है और भगवान् विष्णु को नींद से जगाया जाता है।
एकादशी तिथि प्रारंभ 25 नवंबर दिन बुधवार की सुबह 2 बजकर 42 मिनट से शुरू है और एकादशी तिथि समाप्त 26 नवंबर दिन गुरुवार की सुबह 5 बजकर 10 मिनट पर हो जाएगा।
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम के साथ तुलसी का विवाह कराने वाले व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उस पर भगवान हरि की विशेष कृपा होती है।
तुलसी विवाह को कन्यादान जितना पुण्य कार्य माना जाता है। कहा जाता है कि तुलसी विवाह संपन्न कराने वालों को वैवाहिक सुख मिलता है।
देव उठनी एकादशी पर आप भगवान विष्णु को दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करें। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और आपकी मांगी गई हर इच्छा पूरी करते है।