रिपोर्ट: नंदनी तोदी
हरिद्वार: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अपने विवादित बयानों को लेकर जहा एक तरफ चर्चा में है, वही दूसरी ओर वो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के फैसलों को पलटने को लेकर भी सुर्ख़ियों। इसी बीच उन्होंने एक और बड़ा फैसला सुनाया है।
दरअसल, प्रदेश सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को आज खत्म कर दिया है। सीएम तीरथ ने अपने इस फैसले को तत्काल प्रभाव से इसको रद्द करने का आदेश भी जारी कर दिया है।
सीएम ने देवस्थानम बोर्ड में शामिल 51 मंदिरों को बोर्ड से मुक्त करने और बोर्ड पर पुनर्विचार करने की बात कही है। बता दें, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ये फैसला आज संत बाहुल्य क्षेत्र भूपतवाला में अखंड परम धाम आश्रम में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में लिया है।
साधू संतो ने उनके इस फैसले पर नाराज़गी जताते हुए सीएम को कहा कि देवस्थानम बोर्ड के फैसले को वापस लें। संतो का कहना है कि पूजा पुजारी ही करेगा और बाल नाई ही काटेगा। जिसका जो काम है वो काम वहीं करेगा।
इसी पर मुख्यमंत्री ने कहा कि चार धामों को लेकर शंकराचार्यों द्वारा प्राचीन काल से जो व्यवस्था की गई है उसका पूरी तरह पालन किया जाएगा, उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं होगी और न ही किसी के अधिकारों में कटौती होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में जो भी उनके हाथ में होगा वो करेंगे। संतों को निराश नहीं होने दिया जाएगा।
सीएम रावत ने कहा कि जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो सबसे पहले उनके एजेंडे में हरिद्वार का महाकुंभ और देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा था। आपको बता दें कि बीते दिनों तीर्थपुरोहित सीएम से मिलने पहुंचे थे और इस बोर्ड को भंग करने की मांग की थी। साथ ही तीर्थपुरोहितों ने इस बोर्ड के फैसले को त्रिवेंद्र रावत की तानाशाही बताया था और पूर्व सीएम पर गुस्सा जाहिर किया था।