इस बार होने जा रहे बिहार चुनाव की चमक कुछ फीकी सी है और इसका सबसे बड़ा कारण है की उस धरती से निकले कई बड़े नेताओं का इस चुनाव में ना होना। पाटलिपुत्र की धरती पर पिछले 50 साल में पहली बार ऐसा हो रहा की इस भूमि से निकले सियासी रणबांकुरे अब कहीं दूर चले गए है। जी हां, आरजेडी और समाजवाद के पुरोधा लालू यादव घोटाले के आरोप में जेल में बंद है।
दूसरी और दलितों की आवाज रहे राम विलास पासवान जी जो की एलजेपी के संस्थापक है उनका निधन हो गया है। बिहार की राजनीति में बड़ा नाम रहे आरजेडी के पूर्व नेता रघुवंश बाबू अब इस दुनिया में नहीं है। निधन के कुछ ही दिनों पहले उन्होंने आरजेडी का साथ भी छोड़ दिया था।
लोकतांत्रिक जनता दल के अध्यक्ष शरद यादव भी इस बार नहीं दिखाई दे रहे है। उनकी तबियत ठीक नहीं है। अपनी बेटी को भले ही उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन करवा दी हो लेकिन उनकी बेटी का जादू उनके जैसा नहीं है ये वो भी जानते है।
रामविलास जी,लालू जी,शरद यादव व रघुवंश बाबू जैसे पारम्परिक महारथियों की अनुपस्थिति में लड़ी जा रही पाटलिपुत्र की लड़ाई को एकतरफा समझ रहे चुनाव-विश्लेषक चौंक सकते है ! मुखर युवा व ख़ामोश महिलाएँ निर्णायक हो सकती हैं !सीधा-सधा संवाद मतपेटी की कुंजी है,शेष तो जनता-जनार्दन ही जाने🇮🇳🙏
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) October 26, 2020
बिहार की धरती पर होने जा रहे इस चुनाव को लेकर कुमार विश्वास ने भी अपनी स्टाइल में एक ट्वीट किया है जिसके लिए वो जाने जाते है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘रामविलास जी, लालू जी, शरद यादव व रघुवंश बाबू जैसे पारंपरिक महारथियों की अनुपस्थिति में लड़ी जा रही पाटलिपुत्र की लड़ाई को एकतरफा समझ रहे चुनाव-विश्लेषक चौंक सकते है !
मुखर युवा व ख़ामोश महिलाएँ निर्णायक हो सकती हैं! सीधा-साधा संवाद मतपेटी की कुंजी है,शेष तो जनता-जनार्दन ही जाने। आपको बता दे कि युवा तेजस्वी और चिराग यादव अपनी अपनी पार्टियों को लीड कर रहे है और इसी तरफ कवि कुमार विश्वास ने इशारा किया है।