रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के उस नीति की बात करेंगे, जिसमें उन्होने बताया है कि हर स्त्री की ये चीज होती है उसकी ताकत, जानें क्या बताया है आचार्य चाणक्य ने…
बाहुवीर्य बलं राज्ञो ब्रह्मवित् बली।
रूप-यौवन-माधुर्य स्त्रीणां बलमनुत्तमम्।।
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने बताया है कि राजा की ताकत उसकी भुजाओं में होती है। एक ब्राह्मण की ताकत उसके ज्ञान और स्त्री की शक्ति उसकी सुंदरता और वाणी में होती है। राजा का काम प्रजा की रक्षा करना होता है। ऐसे में राजा का बलशाली या बाहुबली होना जरूरी होता है। जो राजा ताकतवर होता है वह अपने राज्य की जनता और दुश्मनों को संभालना जानता है।
इसी तरह ब्राह्मण की पहचान उसके ज्ञान से की जाती है। ब्राह्मण की असली ताकत उसका ज्ञान होता है। जिसके पास ज्ञान होता है उसे समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। वह अपनी बौद्धिक क्षमता से सामने वालों को समझा सकता है। स्त्री की खूबसूरती और मधुर वाणी ही उसकी ताकत होते हैं। वह इसके बूते पर कुछ भी कर सकती है या फिर करवा सकती है।