रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के उस नीति की बात करेंगे, जिसमें उन्होने बताया है कि गुरु के साथ इन लोगों का हमेशा सम्मान करना चाहिए, लक्ष्मी जी होती हैं प्रसन्न।
आचार्य चाणक्य एक योग्य शिक्षक थे, आज गुरुपूर्णिमा के अवसर पर उनको भी नमन करते हैं। आच्य चाणक्य ने का पूरा जीवन लोगो का मार्गदर्शन और शिक्षा प्रदान करने में बीता। आचार्य की बताई हुई बातें आज भी लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में बताया है कि पिता का सदैव सम्मान करना चाहिए। पिता अपनी संतान को योग्य बनाने के लिए त्याग करता है। विपरीत परिस्थियों में भी अपनी संतान को श्रेष्ठ बनाने के लिए यथासंभव परिश्रम करता है। पिता के समर्पण और त्याग से ही संतान का भविष्य बनता है। इसलिए पिता का हमेशा सम्मान करना चाहिए।
आगे उन्होने बताया कि उस मित्र का हमेशा सम्मान करें, जो आपके बुरे वक्त में आपकी मदद के लिए खड़ा रहता है। जो बुरे वक्त में साए की तरह साथ देते हैं। बुरे वक्त में जब सब साथ छोड़ जाते हैं तो वही साथ देता है जो आपको दिल से चाहता है। इसलिए ऐसे लोगों का हमेशा अहसान मानना चाहिए। इनका आदर और सम्मान करना चाहिए। ऐसे लोग जीवन में उपहार की तरह होते हैं।