रिपोर्ट: सत्यम दुबे
आचार्य चाणक्य के नाम से ही लोगो को जीवन जीने की सीऱ मिलने लगती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र के माध्यम लोगो को सही दिशा दी है। जो लोग आचार्य चाणक्य की नीति शास्त्र में बताये गये बातों का अनुसरण करते हैं, वो जीवन में कभी मात नहीं खाते। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। आज हम आपको आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के उस नीति के बारे में बतायेंगे। जिसमें उन्होने बताया है कि मुश्किल समय फंसने से ये पांच बातें आपको दिखायेंगी रास्ता।
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में बताया है कि वह व्यक्ति जिसका ह्रदय हर प्राणी के लिए प्रेम से भरा हुआ है और करुणा से पिघलता है। ऐसे व्यक्ति को क्या जरूरत है किसी अन्य ज्ञान की या फिर किसी तरह की मुक्ति की। ऐसा व्यक्ति अन्य दिखावा करने वाले लोगों से बेहतर है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार इस दुनिया में आप हर चीज का मूल्य चुका सकते हैं, मगर आपके पास अभी तक वह खजाना नहीं है, जो आपको आपके सदगुरु के उस ज्ञान के ऐवज में जो उन्होंने तुम्हें दिया है, उस कर्जे से मुक्त नहीं कर सके।
आचार्य चाणक्य कहते हैं वही व्यक्ति ज्ञानी है, जो सत्य बात बोलता है और ऐसा बोलता है जो प्रसंग के अनुरूप हो। वहीं श्रेष्ठ है जो अपनी शक्ति के अनुरूप दूसरों की प्रेम से सेवा करता है और जिसे क्रोध नहीं आता।
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में बताया है कि अगर विद्यार्थी अपने गुरु की सच्चे मन से सेवा करे, तो गुरु के पास अर्जित ज्ञान निधि का वह अधिकारी बन सकता है। वही गुरु की कृपा प्राप्त कर सकता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस प्रकार साप के दंश में विष होता है, उसी प्रकार किसी जहरीले कीड़े के मुंह में विष होता है। बिच्छू के डंक में विष होता है, लेकिन इन सबसे अलग दुष्ट व्यक्ति तो पूर्ण रूप से विष से भरा होता है। इसलिए इससे बचके रहें।