{श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से }
प्रलय का अर्थ है सृष्टि का विनाश, उसके उपरांत आदि शक्ति अपनी अमोघ शक्ति से ब्रह्मा, विष्णु और महेश को उत्पन्न करती है। आदि शक्ति से अमोघ शक्ति मिलने के बाद ब्रह्मा सृष्टि की रचना करते है। उसके बाद वो ग्रहों की रचना करते है, सृष्टि रचना के इस क्रम में मानव का भी निर्माण किया जाता है जो की सृष्टि संचालन के लिए अति आवश्यक है।
ब्रह्मा को इसके लिए सनातन कहा जाता है, सृष्टि की सबसे पहले की जीवन सभ्यता को सनातन सभ्यता कहा गया और इसे जीवन पद्धत्ति का हिस्सा माना गया।
सबसे पुरानी मानव सभ्यता मनुष्य के रोम रोम में बसी हुई है और जीवन जीने की यह सबसे पुरानी और बेहतरीन जीवन पद्धति है।
सर्वाधिक प्राचीन धर्म सनातन धर्म है और इसका पालन करने वालों को मानवतावादी कहा गया। सनातन धर्म को मानने वाले अधिकतर लोग अहिंसक होते है और इस संसार के समस्त जीवों के प्रति दया भाव रखते है। वही जैन धर्म में तो नियम और कड़े है।
इस धर्म में तो सूक्ष्म जीवाणु तक की रक्षा करने का विधान है। किसी का दिल नहीं दुखाना, किसी के साथ धोखा नहीं करना, किसी का धन नहीं चुराना चाहिए और ना ही परायी स्त्री के साथ दुराचार करना चाहिए।
किसी भी धर्म में अपने इष्ट की पूजा या आराधना करना उनका दायित्व है, कर्म ही ईश्वर की पूजा है जिसे शृद्धा पूर्वक ईमानदारी से करना चाहिए। ये मानव धर्म के नियम है को किसी भी धर्म को मानने वाले के लिए तर्क संगत है। समय समय पर जीवन जीने की परम्पराओं के आधार पर अनेक धर्मो की स्थापना हुई, ईसाई धर्म जिन्होंने यीशु की बातों को जीवन का आधार बनाया।
वही मुहम्मंद ने अरब में 506 ईस्वी में इस्लाम धर्म की स्थापना की जिन्हे की इस्लाम का पैगम्बर कहा जाता है। इस्लाम कुरान के अनुसार चलता है जो कि खुदा ने अल्लाह के बंदों को बख्शी हैं। कुरान हज़रत मुहम्मद साहब के ऊपर नाज़िल हुआ और उन्ही से आगे ये प्रसारित हुआ।
इसके अलावा कई धर्म भी धीरे धीरे विस्तार लेते गए जिनमें बौद्ध , सिख जैसे धर्म प्रमुख है। समय समय पर इन धर्मों का इतिहास भी लिखा जाता रहा है। अगर इतिहास में देखे तो कई विवादित अध्याय भी हमारे सामने आते है। देखा जाए तो सभी धर्मों के लोगों ने अपने धर्म का प्रचार प्रसार करने की पूरी कोशिश की और कई बार इसके लिए खून खराबा भी हुआ।
भारतवर्ष पर बाबर और औरंगज़ेब जैसे आक्रांता आये और कायरतापूर्ण तरीके से लोगों को मुस्लिम बनाया गया। इतिहासकार कहते है कि इस देश के लाखों मंदिर एक खंडकाल में तोड़ दिए गए वही नालंदा जैसा विश्व विद्यालय भी जला दिया गया।
इन सबके बाद भी सनातन धर्म ने अपनी प्रतिष्ठा को बनाये रखा और दुनिया का दिल जीता। आज भी दुनिया में सबसे प्राचीन पद्धति सनातन धर्म की ही जीवन पद्धति है। और कई बार ऐसे मौके आये जब इसे खत्म करने की कोशिश की गयी लेकिन इस पद्धति ने दुनिया को राह दिखाई है और दिखाती रहेगी।