रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल का परिणाम आ गया। दोनो टीमें जीत के लिए काफी जद्दो-जहद की, लेकिन न्यूजीलैंड की टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप अपने नाम करने में सफल रही। वहीं भारतीय टीम यह सुनहरा मौका अपने हाथ से गंवा दी है। इस मैच में दोनो टीमों के टक्कर से पहले ही सभी अपने-अपने दांव पेंच लगाने लगे थे। भारतीय टीम को प्रबल दावेदार माना जा रहा था। लेकिन कहते हैं न जब योद्धा रणभूमि में उतरता है, तब उसके पुरुषार्थ की परिक्षा होती है। न्यूजीलैंड तमाम विपरीत परिस्थिति के बाद भी पहला वर्ल्ड टेस्ट चैंपियन बनी।
जो टीम सबसे प्रबल दावेदार मानी जा रही थी, वो टीम हार जाती है, तो सवाल खड़े होते हैं। आइये जानते हैं कि भारतीय टीम ने कहां चूक की है, जिससे उसको हार मिली है। भारतीय टीम की कमीं को देखें तो टीम को दो स्पिनर की जगह एक स्पिनर को रखना चाहिए था। एक स्पिनर की जगह अतिरिक्त तेज गेंदबाज को टीम में शामिल करना चाहिए था। टीम ने ऐसा नहीं किया, जबकि न्यूजीलैंड की टीम ने पांच तेज गेंदबाजों को मैदान में उतारा और नतीजा आपके सामने है। आर अश्विन ने अपनी कला के दम पर विकेट जरूर चटकाए, लेकिन जडेजा को स्पिनर के तौर पर कोई मदद नहीं मिली।
भारतीय टीम बल्लेबाजी भी कमजोर रही, युवा बल्लेबाज शुभमन गिल को अनुभवी मयंक अग्रवाल की जगह सलामीं बल्लेबाज के तौर पर तरजीह देना टीम को भारी पड़ गया। वहीं मयंक की बात करें तो भारत की तरफ से एकमात्र बल्लेबाज थे, जिन्होंने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में दो दोहरे शतक जड़े थे। गिल के योगदान की बात करें तो पहली पारी में 28 और दूसरी पारी में 8 रन बनाए। उनके इस प्रदर्शन के कारण ही टीम को अच्छी शुरुआत नहीं मिल पाई। मध्यक्रम में संकटमोचक कहे जाने वाले चेतेश्वर पुजारा से टीम को उम्मीद थी, लेकिन वे दोनों पारियों में कुलमिलाकर 23 रन बना पाए। यहां तक कि पूरे मैच में कोई भी भारतीय बल्लेबाज अर्धशतक तक नहीं जड़ा। ये हार का प्रमुख कारण रहा।
गेंदबाजी में भी टीम की कमजोर साबित हुई, जिस तरह से न्यूजीलैंड टीम के तेज गेंदबाजों की तेज इन स्विंग और आउट स्विंग हो रही थी। उस तरह की मदद भारतीय तेज गेंदबाजों को विकेट से नहीं मिली। मोहम्मद शमी ने जरूर चार विकेट पहली पारी में लिए, लेकिन उनको भी बहुत कम मदद विकेट से मिली। ट्रेंट बोल्ट, टिम साउथी, नील वैगनर और काइल जैमीसन ने प्लान के मुताबिक गेंदबाजी की और एक-एक करके भारत के बल्लेबाजों को फंसाया, लेकिन कप्तान कोहली और कोच रवि शास्त्री का प्लान काम नहीं आया।
विलियम्सन व टेलर जब मैच को पूरी तरह से भारत के हाथों से दूर ले जा रहे थे तो भारत के पास 31वें ओवर में टेलर का विकेट लेने का मौका था, लेकिन वह इसे भुना नहीं सका। बुमराह के इस ओवर की चौथी गेंद पर टेलर बल्ला अड़ा बैठे और गेंद सीधे पहली स्लिप पर खड़े पुजारा के हाथों में पहुंची, लेकिन वह कैच नहीं लपक सके और टेलर को जीवनदान मिल गया। उस समय टेलर ने 26 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे। भारत के पास थोड़ा बहुत मौका वापसी करने का था, क्योंकि न्यूजीलैंड को तब जीत के लिए 55 रन बनाने थे, लेकिन इस कैच ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इसके बाद 44वें ओवर में विलियमसन को भी जीवनदान मिला। शमी के इस ओवर की पांचवीं गेंद को उन्होंने ऊंचा उठा दिया और बुमराह ने प्वाइंट पर उनका कैच गिरा दिया। हालांकि, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
भारतीय टीम के गेंदबाजी की वजीर कहे जाने वाले बुमराह की गेंद भी कुछ खास कमाल नहीं कर पाई। साल 2019 के वर्ल्ड कप के बाद जसप्रीत बुमराह को स्ट्रेस फ्रैक्चर हुआ था। इसके बाद उन्होंने साल 2019 के आखिर में वापसी की, लेकिन उसके बाद से ही उनकी गेंदबाजी में वो धार नजर नहीं आई। अगस्त 2019 के बाद से टेस्ट क्रिकेट की 15 पारियों में उन्होंने गेंदबाजी की और सिर्फ 21 विकेट चटकाए हैं। यहां तक कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जसप्रीत बुमराह विकेटों का खाता तक नहीं खोल सके। दूसरी पारी में जरूर उनके पास मौका था, लेकिन चेतेश्वर पुजारा कैच नहीं पकड़ पाए थे। अगर बुमराह कुछ विकेट लेने में कामयाब होते तो फिर मैच का नतीजा कुछ और होता।