नई दिल्ली : आज से तकरीबन 14 साल पहले एक विद्रोह में उसकी मां को सशस्त्र मिलिशिया (विद्रोही) ने गोली मार दी। जिससे उसकी मौत हो गई। तब नदकासी सिर्फ दो महीने की थी, जिसे ये तक समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है। वे अपनी बेजान मां के शरीर से चिपके हुई थी। इसी दौरान साल 2007 में नदाकासी को पार्क रेंजर मैथ्यू शामवु (Mathieu Shamavu)और आंद्रे बाउमा(Andre Bauma) ने बचाया था।
साल 2019 में नदाकासी (गुरिल्ला) खूब फेमस हो गई था जब उसकी केयरटेकर के साथ ली सेल्फी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। नदाकासी (गुरिल्ला) का स्वैगर देखते ही बन रहा था और लोगों ने इसे खूब प्यार दिया था। हालांकि, करीब एक महीने पहले लंबी बीमारी झेलने के बाद नदाकासी (गुरिल्ला) ने अपने केयरटेकर की गोद में ही दम तोड़ दिया। नदाकासी (गुरिल्ला) 10 साल से कॉन्गो के इसी विरुंगा नेशनल पार्क में रह रही थी।
इस घटना की जानकारी खुद विरुंगा नेशनल पार्क(Virunga Mountains) ने अपने twitter पेज के जरिये दी। उसकी एक मार्मिक तस्वीर शेयर की गई है, जिसमें वो उसका रेस्क्यू करने वाले रेंजर की गोद में उदास पड़ी है। फिर उसने बाहों में ही दम तोड़ दिया। बता दें कि वर्ष, 2007 में नदकासी को पार्क रेंजर मैथ्यू शामवु (Mathieu Shamavu)और आंद्रे बाउमा(Andre Bauma) ने बचाया था। उसकी मां को सशस्त्र मिलिशिया(विद्रोही) ने गोली मार दी थी। तब नदकासी सिर्फ 2 महने की थी। वो अपनी मां के बेजान शरीर से चिपकी हुई थी। जहां से उसे गोमा में रेस्क्यू सेंटर लाया गया और यहां वह बॉमा से मिली। इसके बाद 10 साल तक बॉमा उसे केयरटेकर रहे।
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खास सेंटर में रही
पार्क ने बताया कि रात भर बॉमा गुरिल्ला के बच्चे को चिपकाकर बैठे रहे ताकि उसे गरमाहट और आराम मिलता रहे। दाकासी को वापस जंगल में छोड़ने की जगह पार्क लाया गया। यहां अनाथ पहाड़ी गुरिल्ला रहते हैं और अपनी तरह का यह दुनिया में अकेला ऐसा सेंटर है। उसने पूरा जीवन शांति से अपने केयरटेकर्स और साथियों के साथ बिताया। उस पर कई डॉक्युमेंटरी और प्रॉजेक्ट्स किए गए।
सेल्फी ने किया फेमस
वह सबसे ज्यादा मशहूर तब हुई जब 2019 में बॉमा और एक और गुरिल्ला के साथ उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। यह सेल्फी पृथ्वी दिवस के मौके पर शेयर की गई थी। बॉमा का कहना है कि वह इस बात के लिए खुशकिस्मत हैं कि उन्हें दाकासी का ख्याल रखने का मौका मिला। उनका कहना है कि दाकासी के साथ दोस्ती से उन्हें इंसानों और ग्रेट एप्स के बीच दोस्ती की समझ आई।
वह याद करते हैं, ‘मैं उसे बच्चे की तरह प्यार करता था और उसकी खुशमिजाजी मेरे चेहरे पर मुस्कान लाती थी। हम उसे बहुत मिस करेंगे लेकिन हम आभारी हैं जो दाकासी हमारे जीवन में इतनी खुशियां लाई।’