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कोरोना के साये में आयोजित विधानसभा का चार दिवसीय शीतकालीन सत्र गुरुवार को अनिश्चतकाल के लिए स्थगित हो गया

By RNI Hindi Desk 
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देहरादून: सत्र के दौरान सदन 19 घंटे 10 मिनट तक चला। सरकार ने दो दिन के भीतर ही अनुपूरक बजट के साथ ही सात विधेयक पारित कराकर कामकाज निबटाया। हालांकि, विपक्ष के दबाव के बाद सदन की अवधि एक दिन बढ़ी और विपक्ष ने तमाम मसलों पर सरकार को घेरने का प्रयास किया, मगर उसके पास होमवर्क का अभाव भी साफ झलका।

शीतकालीन सत्र 21 दिसंबर को शुरू हुआ। पहले दिन से ही सत्र की कम अवधि को लेकर विपक्ष ने दबाव बनाया तो पूर्व में प्रस्तावित तीन दिनी सत्र की एक दिन अवधि बढ़ाई गई। सत्र के दूसरे दिन से विपक्ष ने गन्ना किसानों को भुगतान, महंगाई, भ्रष्टाचार, कर्मकार बोर्ड समेत तमाम मसलों को मुद्दा बनाते हुए सरकार को घेरने का प्रयास किया, लेकिन यह साफ झलक रहा था कि उसने इनके लिए पर्याप्त होमवर्क नहीं किया है। कार्यस्थगन के रूप में विपक्ष की तमाम मसलों को क्लब कर इसकी सूचना दी गई, मगर इसमें कई मामले कोर्ट में चल रहे हैं। नतीजतन, सरकार साफ बच निकली।

सत्र स्थगित होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने सत्र में सहयोग के लिए सत्तापक्ष-विपक्ष के प्रति आभार जताया। उन्होंने जानकारी दी कि इस बार सदन में प्रश्नकाल में सभी प्रश्न उत्तरित हुए। उन्होंने बताया कि यह 21 वां मौका है, जब प्रश्नकाल में सभी तारांकित प्रश्न उत्तरित हुए। उन्होंने बताया कि शीतकालीन सत्र के लिए विधानसभा को 485 प्रश्न प्राप्त हुए, जिनमें तीन अल्पसूचित प्रश्नों में से दो उत्तरित हुए। 120 तारांकित प्रश्नों में से 21 के जवाब मिले।

302 आतारांकित प्रश्नों में से 58 उत्तरित हुए, जबकि 45 प्रश्न अस्वीकार किए गए और 15 विचाराधीन रखे गए। 18 याचिकाओं में सभी स्वीकृत की गईं। नियम 300 में प्राप्त 71 सूचनाओं में 54 ध्यानाकर्षण के लिए और नियम 53 में प्राप्त 43 सूचनाओं में दो अस्वीकृत हुई और 29 ध्यानाकर्षण के लिए रखी गईं। नियम 58 में प्राप्त सभी 15 सूचनाओं को स्वीकृत किया गया। नियम 299 में मिली एक सूचना भी स्वीकृत की गई।

कोरोना संक्रमण की चपेट में आए नेता सदन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत शीतकालीन सत्र के पहले दिन वर्चुअली सदन से जुड़े। विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि कोराना पॉजीटिव होने के बावजूद नेता सदन का सत्र की कार्यवाही में जुडऩे का जज्बा संसदीय लोकतंत्र के प्रति उनकी आस्था को दर्शाता है। साथ ही यह कोरोना से लड़ाई लडऩे के लिए आमजन को बल प्रदान करता है।

ये विधेयक हुए पारित

  • उत्तराखंड लोक सेवा (आॢथक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण)(संशोधन) विधेयक
  • उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश भू राजस्व अधिनियम 1901)(संशोधन) विधेयक
  • उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (संशोधन) विधेयक
  • उत्तराखंड शहीद आश्रित अनुग्रह अनुदान
  • उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक
  • हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक
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